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हिंदू धर्म के रहस्यमयी ज्ञान के बारे में विस्तार से जानिए 

 

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म अपने आप में एक बड़ा धर्म है और इसे मानने वाले की कमी नहीं हैं हिंदू धर्म वेदों पर आधारित धर्म हैं वेदों से ही स्मृति और पुराणों की उत्पत्ति हुई हैं वेदों के सार को उपनिषद् और उपनिषदों के सार को गीता कहते हैं श्रृति के अंतर्गत वेद आते हैं बाकी सभी ग्रंथ स्मृति ग्रंथ हैं रामायण और महाभारत इतिहास ग्रंथ हैं वेद की प्राचीनकाल की पंरपरा के चलते कई सारे रहस्यमयी ज्ञान या पथों का उद्भव होता गया हैं और इनमे कई तरह के संशोधन भी हुए। ये ज्ञान को एक व्यवस्थित रूप देने की कवायद ही थी। तो आज हम आपको वेदों से उतपन्न इस ज्ञान के कितने रहस्यमयी ज्ञान विकसित हो गए हैं इसके बारे में बता रहे हैं तो आइए जानत हैं। 

वेदों के ज्ञान को नए तरीके से किसी ने व्यवस्थित किया है तो वह हैं भगवान श्रीकृष्ण। वेदों के सार को वेदांत या उपनिषद कहते हैं और उसके भी सार तत्व को गीता में समेटा गया हैं। गीता में भक्ति, ज्ञान और कर्म मार्ग की चर्चा की गई हैं उसमें यम नियम और धर्म कम के बारे में भी बताया गया हैं गीता ही कहती है कि ब्रह्म एक ही हैं गीता को बार बार पढ़ेंगे। तो आपके समक्ष इसके ज्ञान का रहस्य खुलता जाएगा। वेदों से ही योग की उत्पत्ति हुई समय समय पर इस योग को कई ऋषि मुनियों ने व्यवस्थित रूप दिया। आदिदेव शिव और गुरु दत्तात्रेय को योग का जनक माना गया हैं शिव के सात शिष्यों ने ही योग को संपूर्ण धरती पर प्रचारित किया। योग का प्रत्येक धर्म पर गहरा प्रभाव देखने को मिलता हैं भगवान श्रीकृष्ण को योगेश्वर कहा गया। वरिष्ठ पराशर, व्यास, अष्टावक्र के बाद पतंजलि और गुरु गोरखनाथ के योग को एक व्यवस्थित रूप दिया। 

दूसरी कर्मयोग की परंपरा विवस्वान की हैं विवस्वान ने मनु को, मनु ने इक्ष्वाकु को, इक्ष्वाकु ने राजर्षियां और प्रजाओं को योग का उपदेश दिया। उक्त सभी बातों का वेद और पुराणों में उल्लेख मिलता हैं वेद को संसार की प्रथम पुस्तक माना जाता हैं जिसका उत्पत्ति काल करीब 10,000 साल पूर्व का माना जाता हैं पुरातत्ववेत्ताओं के अनुसार योग की उत्पत्ति 5000 ईपू में हुई गुरु शिष्य परंपरा के द्वारा योग का ज्ञान परंपरागत तौर पर एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को मिलता हैं।