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भगवान राम ही नहीं इन लोगों ये भी युद्ध में हार गया था दशानन रावण
 

 

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: अधिकतर लोगों को केवल ही पता हैं कि रावण प्रभु श्रीराम से ही हारा था मगर ये सत्य नहीं हैं रावण प्रभु श्रीराम के अलावा शिव, राजा बलि, बालि और सहस्त्रबाहु से भी पराजित हो चुका था। तो आज हम आपको इन सभी के बारे में बता रहे हैं जिससे रावण हार गया था, तो आइए जानते हैं। 
  
एक बार रावण बालि से युद्ध करने के लिए पहुंच गया था। बालि उस समय पूजा कर रहा था। रावण बार बार बालि को ललकार रहा था, जिससे बालि की पूजा में बाधा उत्पन्न हो रही थी। जब रावण नहीं माना तो बालि ने उसे अपनी बाजू में दबा कर चार समुद्रों की परिक्रमा की थी। बालि बहुत शक्तिशाली था और इतना तेज गति से चलता था कि रोज सुबह सुबह ही चारों समुद्रों की परिक्रमा कर लेता था इस तरह परिक्रमा करने के बाद सूर्य को जल अर्पित करता था जब तक बालि ने परिक्रमा की और सूर्य को जल अर्पित किया तब तक रावण को अपने बाजू में दबाकर ही रखा था। रावण ने बहुत प्रयास किया मगरवह बालि की गिरफ्त से आजाद नही हों पाया। पूजा क बाद बालि ने रावण को छोड़ दिया था। 

सहस्त्रबाहु अर्जुन के एक हजार हाथ थे और इसी वजह से उसका नाम सहस्त्रबाहु पड़ा था। जब रावण सहस्त्रबाहु से युद्ध करने पहुंचा तो सहस्त्रबाहु ने अपने हजार हाथों से नर्मदा नदी के बहाव को रोक दिया था। सहस्त्रबाहु ने नर्मदा का पानी इकट्ठा किया और पानी छोड़ दिया, जिससे रावण पूरी सेना के साथ ही नर्मदा में बह गया था। इस पराजय के बाद एक बार फिर रावण सहस्त्रबाहु से युद्ध करने पहुंच गया था, तब सहस्त्रबाहु ने उसे बंदी बनाकर जेल में डाल दिया था। 
 
दैत्यराज बलि पाताल लोक के राजा थे। एक बार रावण राजा बलि से युद्ध करने के लिए पाताल लोक में उनके महल तक पहुंच गया। वहां पहुंचकर रावण ने बलि को युद्ध के लिए ललकारा, उस समय बलि के महल में खेल रहे बच्चों ने ही रावण को पकड़कर घोड़ों के साथ अस्तबल में बांध दिया था। इस प्रकार राजा बलि के महल में रावण की हार हुई थी। 

रावण शक्तिशाली था और उसे अपनी शक्ति पर घमंड भी था। रावण इस घमंड के नशे में शिव को हराने के लिए कैलाश पर्वत पर पहुंच गया। रावण ने शिव को युद्ध के लिए ललकारा, मगर महादेव तो ध्यान में लीन थे। रावण कैलाश पर्वत को उठाने लगा। तब शिव ने पैर के अंगूठे से ही कैलाश का भार बढ़ा दिया, इस भार को रावण उठा नहीं सका और उसका हाथ पर्वत के नीचे दब गया। बहुत प्रयत्न के बाद भी रावण अपना हाथ वहां से नहीं निकाल सकां तब रावण ने शिव को प्रसन्न करने के लिए उसी समय शिव तांडव स्त्रोत रच दिया। शिव इस स्रोत से बहुत प्रसन्न हो गए और उन्होंने रावण को मुक्त कर दिया।