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Puja path: सोमवार को शिव पूजा में जरूर पढ़ें शिवाष्टक, भोलेनाथ होंगे प्रसन्न

 

हिंदू धर्म में सप्ताह के सातों दिनों को किसी न किसी देवी देवता की पूजा अर्चना के लिए खास माना जाता हैं वही सोमवार का दिन भगवान शिव का दिन होता हैं इस दिन शिव की विधि विधान से पूजा करने से भक्तों को शुभ फल की प्राप्ति होती हैं आज सोमवार है यानी शिव का दिन हैं शिव को कई नामों से जाना जाता हैंहिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में यह एक माने जाते हैं आज के दिन शिव की पूजा की जाती हैं मान्यता है कि अगर शिव की पूजा सच्चे मन से और विधि पूर्वक की जाए तो मनुष्य की इच्छाएं पूरी हो जाती हैं शिव की पूजा इनकी मूर्ति और शिवलिंग दोनों ही रूप में होती हैं कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर प्राप्ति के लिए शिव का व्रत पूजन करती हैं।

भगवान शिव को संहार का देवता कहा जाता हैं शिव सौम्य आकृति और रौद्ररूप दोनों के लिए जाने जाते हैं भगवान शिव के गले में नाग देवता वासुकी का वास हैं इनके हाथों में डमरू और त्रिशूल हैं ​भगवान भोलेनाथ की पूजा करते वक्त ​भक्त शिव आरती, मंत्र और शिव चालीसा का पाठ कर सकते हैं वही भक्तों को शिवाष्टक का भी जाप पूजा में जरूर करना चाहिए इससे भगवान प्रसन्न हो जाते हैं तो आज पढ़ें शिव पूजा में शिवाष्टक।

यहां पढ़ें शिव पूजा में शिवाष्टक—

जय शिवशंकर, जय गंगाधर, करुणा-कर करतार हरे,

जय कैलाशी, जय अविनाशी, सुखराशि, सुख-सार हरे

जय शशि-शेखर, जय डमरू-धर जय-जय प्रेमागार हरे,

जय त्रिपुरारी, जय मदहारी, अमित अनन्त अपार हरे,

निर्गुण जय जय, सगुण अनामय, निराकार साकार हरे।

पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

जय रामेश्वर, जय नागेश्वर वैद्यनाथ, केदार हरे,

मल्लिकार्जुन, सोमनाथ, जय, महाकाल ओंकार हरे,

त्र्यम्बकेश्वर, जय घुश्मेश्वर भीमेश्वर जगतार हरे,

काशी-पति, श्री विश्वनाथ जय मंगलमय अघहार हरे,

नील-कण्ठ जय, भूतनाथ जय, मृत्युंजय अविकार हरे।

पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

जय महेश जय जय भवेश, जय आदिदेव महादेव विभो,

किस मुख से हे गुरातीत प्रभु! तव अपार गुण वर्णन हो,

जय भवकार, तारक, हारक पातक-दारक शिव शम्भो,

दीन दुःख हर सर्व सुखाकर, प्रेम सुधाधर दया करो,

पार लगा दो भव सागर से, बनकर कर्णाधार हरे।

पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

जय मन भावन, जय अति पावन, शोक नशावन,

विपद विदारन, अधम उबारन, सत्य सनातन शिव शम्भो,

सहज वचन हर जलज नयनवर धवल-वरन-तन शिव शम्भो,

मदन-कदन-कर पाप हरन-हर, चरन-मनन, धन शिव शम्भो,

विवसन, विश्वरूप, प्रलयंकर, जग के मूलाधार हरे।

पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

भोलानाथ कृपालु दयामय, औढरदानी शिव योगी,

सरल हृदय, अतिकरुणा सागर, अकथ-कहानी शिव योगी,

निमिष में देते हैं, नवनिधि मन मानी शिव योगी,

भक्तों पर सर्वस्व लुटाकर, बने मसानी शिव योगी,

स्वयम्‌ अकिंचन, जनमनरंजन पर शिव परम उदार हरे।