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मानव जीवन का सार समेटे हुए है हिंदू धर्म की मान्यताएं

 

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म को मानने वालों की कोई कमी नहीं हैं यह धर्म अपने आप में ही श्रेष्ठ हैं हिंदू धर्म, सनातन धर्म का ही एक प्रचलित नाम हैं जो पृथ्वी या ब्राह्मांड के अस्तित्व के समय से ही अस्तित्व में हैं। वैदिक काल में भारतीय उपमहाद्वीप में प्रचलित जीवन पद्धति को सनातन धर्म के नाम से जाना जाता था। यह धर्म जीवन जीने के तरीकों का ही संकलन है, जिसमें मानवीय मूल्यों को विशेष महत्व दिया गया हैं, तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा भारत के इस धर्म के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते हैं। 

आपको बता दें कि हिंदू धर्म में सच या सत्य वचन को शाश्वत माना गया हैं तभी कहा भी जाता है कि सौ झूठ बोलने से भी सच नहीं मिटता हैं सच उसी तरह चमकता रहता हैं जिस तरह सूरज की रोशनी जो बादलों के कारण कुछ समय के लिए छिप जरूर जाती हैं लेकिन फिर उसी दिव्यता के साथ संपूर्ण जगत में छा जाती हैं। ब्रह्म अर्थात ब्रह्मा इस ब्रह्मांड का सबसे बड़ा सच हैं वैदिक धर्म ग्रंथों के अनुसार इस संपूर्ण ब्रह्मांड की रचना ब्रह्मदेव ने की है और संसार में जितने भी जीव है उन सभी में ब्रह्मा का अंश हैं। वेदों का लेखन स्वयं ईश्वर द्वारा ही किया गया हैं ऋषि वेदव्यास ने वाचन किया और स्वयं भगवान श्री गणेश ने वेदों का लेखन किया। कथा अनुसार देवव्यासजी को संपूर्ण ब्रह्मरंछ में गणपति से उचित लेखन नहीं मिले। इसलिए उन्होंने श्री गणेश से प्रार्थना की कि भगवान आपको ही लेखन कार्य करना होगा क्योंकि आपसे शीघ्र गति से यह काम कोई और नहीं कर सकता हैं तब ऋषि वेदव्यास और भगवान गणपति के मध्य यह निश्चित हुआ कि अगर कहीं देवव्यास जी अटके तो भगवान वहीं लिखना बंद कर देंगे। लेकिन वेदव्यास का ज्ञान अतुलनीय था और उन्होंने बोलना जारी रखा तो गापति लिखते रहे। ऐसे में वेदों में कही गई बातें स्वयं ईश्वर का आदेश मानी जाती हैं यह बात ध्यान देने योग्य हैं कि वैदिक काल से आज तक वेदों में मानव ने अपने हिसाब से क्या जोड़ा और क्या हटाया इस बात पर विचार कर ही अनुसरण करना चाहिए।