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Vastu Tips: भूलकर भी न बनवाएं ऐसी सीढ़ियां वरना उठाना पड़ेगा नुकसान

 

वास्तुशास्त्र में घर और घर से जुड़ी चीजों के बारे में विस्तार से बताया गया हैं, सीढ़ियां सभी घरों में होती हैं मगर वास्तु नियमों के अनुसार सीढ़ियां घर के ईशान कोण और ब्रह्म स्थान को छोड़कर किसी भी दिशा में बनाई जा सकती हैंवही सीढ़ियों का सबसे उपयुक्त स्थान दक्षिण पश्चिम यानी नैऋत्य कोण होता हैं इसके बाद दक्षिण, पश्चिम, आग्नेय, वायव्य, पूरब और उत्तर दिशा हैं। तो आज हम आपको वास्तु अनुसार सीढ़ियों से जुड़ी कुछ बातें बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं।

नैऋत्य दिशा को छोड़कर उपरोक्त सभी दिशाएं उनका विकल्प हैं अगर नैऋत्य में आपको सीढ़ियों का स्थान नहीं मिल रहा हैं तो दक्षिण में बना सकते हैं वही द्वितीय विकल्प पश्चिम में बना सकते हैं तृतीय आग्नेय कोण में चतुर्थ विकल्प वायव्य में, पंचम विकल्प पूरब में और आखिरी विकल्प उत्तर में सीढ़ियों का निर्माण किया जा सकता हैंसीढ़ियां भारी और ऊंची होती हैं तो इसके लिए उसी स्थान को चुने जो वास्तु के मुताबिक इसके लिए निश्चित किया गया हो। यानी दक्षिण पश्चिम कोना, अगर यहां सीढ़ियां होंगी तो घर की उन्नति और विकास आगे बढ़ सकता हैं। वही दक्षिण और पश्चिम में भी सीढ़ियां बनाना वास्तु के अनुकूल माना जाता हैं उत्तर और पूर्व में सीढ़ियां बनाना अंतिम विकल्प हैं भूलकर भी सीढ़ियां ईशान दिशा में या ब्रह्मस्थान में ना बनाएं।

ईशान दिशा में वास्तुपुरूष का मस्तिष्क माना गया हैं वहां पर भारी वस्तु अथवा सीढ़ियां बनाएंगे तो उस घर का विकास रुक जाएगा। संतान की अपेक्षित उन्नति नहीं कर पाएगी। ब्रह्मस्थान वास्तु पुरुष की नाभि होती हैं अगर किसी व्यक्ति की नाभि पर वजन रख दिया जाए तो उसके पेट का सिस्टम बिगड़ सकता हैं इस तरह वास्तु में भी अगर ब्रह्म स्थान पर कोई भारी निर्माण या सीढ़िरूां हो तो उस घर का वास्तु सही नहीं हो सकता हैं चाहे उस व्यक्ति का कार्य कितना भी प्रगति पर हैं। धीरे धीरे निम्न स्तर में पहुंच जाएगा।