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Smoking छोडते ही इन तरीकों से होने लगते है आपके Lungs में Change

 

हैल्थ न्यूज डेस्क।। हाल ही में किए शोध में शोधकर्ताओं ने बताया है कि अपने आप फिर से धूम्रपान की आदत छोड़ने वालों के फेफड़े स्वस्थ हो सकते हैं. फेफड़ों का कैंसर धूम्रपान करने से हो सकता है लेकिन शरीर क्षतिग्रस्त हुई कोशिकाओं से धूम्रपान की आदत छोड़ने से खुद निपट सकता है. जर्नल नेचर दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित में प्रकाशित इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया है कि कैंसर का जोखिम धूम्रपान छोड़ने से कम हो जाता है. होता ये है कि खराब हो चुकी कोशिकाओं की जगह शरीर में स्वस्थ कोशिकाओं का भंडार ले लेती है.

इस अध्ययन में शामिल संयुक्त रूप से किए गए शोधकर्ता पीटर कैंपबेल के मुताबिक यह अध्ययन जो धूम्रपान छोड़ना चाहते हैं उन लोगों के लिए आशा की किरण लेकर आता है . कैंपबेल कहते हैं, "30-40 या उससे ज्यादा सालों से जो लोग स्मोकिंग करते रहे हैं धूम्रपान की आदत छोड़ने में देर हो चुकी है वह अकसर सोचते हैं. जो नुकसान होना था वह हो चुका है अब नुकसान को वापस नहीं किया जा सकता."

वहीं संयुक्त बयान में वेलकस सेंगर इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने कहा, "इस आदत को कभी भी छोड़ा जा सकता है अध्ययन की सबसे खास बात है." अलग अलग वर्ग को जिन लोगों को अध्ययन में शामिल किया गया था. उनमें से कई अपने जीवन में करीब 15 हजार सिगरेट के पैकेट खत्म किए थे. कुछ सालों के भीतर ही ऐसे लोगों ने जब धूम्रपान छोड़ा तो उनके वायुमार्ग को अस्थिर करने वाली कोशिकाओं ने तंबाकू से हुए नुकसान का कोई सबूत नहीं दिखाया.

शरीर की कोशिकाओं में होने वाले आनुवंशिक परिवर्तन उम्र बढ़ने का एक सामान्य हिस्सा हैं. इनमें से कई उत्परिवर्तन हानिकारक नहीं होते हैं. जिन्हें "यात्री म्यूटेशन" भी कहते हैं. अध्ययन में 16 लोग शामिल हुए. कैंपबेल ने समाचार एजेंसी एएफपी से बातचीत में बताया, "गलत सेल में गलत जीन का परिवर्तन कोशिकाओं के व्यवहार को नाटकीय रूप से बदल सकता है. यह कैंसर की तरह व्यवहार करने लगते हैं. जिनमें अगर किसी में कोई पर्याप्त 'चालक उत्परिवर्तन' जमा हो जाते हैं, तो कोशिका पूर्ण विकसित कैंसर बन सकती हैं. इनमें कुछ ऐसे लोग थे जो जीवन भर धूम्रपान करते रहे हैं, कुछ ने इस आदत से तौबा कर ली, ऐसे वयस्क जिन्होंने कभी स्मोकिंग नहीं की और कुछ बच्चों को शामिल किया गया. इन लोगों के फेफड़ों की बायोप्सी का लैब में विश्लेषण किया गया. 

16 अलग अलग वर्ग के लोगों पर शोध

दस के फेफड़ों की कोशिकाओं में से नौ में धूम्रपान करने वालों में ऐसा म्यूटेशन पाया गया जो कैंसर का कारण बन सकता है. वहीं क्षतिग्रस्त कोशिकाओं कोधूम्रपान छोड़ने वालों की  स्वस्थ कोशिकाओं ने हटाकर बदल दिया. उनके फेफड़े बिल्कुल वैसे थे जैसे कभी धूम्रपान नहीं करने वालों के थे. पहले धूम्रपान करने वालों के फेफड़ों की 40 प्रतिशत तक कोशिकाएं स्वस्थ थी.

शोधकर्ताओं को स्पष्ट नहीं है कि यह हुआ कैसे. अध्ययन के लेखकों का मानना है कि स्वस्थ कोशिकाओं शरीर में का भंडार हो सकता है. कैम्पबेल बताते हैं, "एक बार जब व्यक्ति धूम्रपान छोड़ देता है, तो कोशिकाएं इस सुरक्षित बंदरगाह से धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को बदलने के लिए फैलती हैं."

वान एंडल इंस्टीट्यूट के सेंटर फॉर एपिजेनेटिक्स में प्रोफेसर गेरड फेफर ने कहा, "शोध ने धूम्रपान बंद करने का मानव फेफड़ों के ऊतकों में आणविक स्तर पर सुरक्षात्मक प्रभाव कैसे निकलता है इस पर प्रकाश डाला है." लेकिन नैतिक चिंताओं को फेफड़ों की बायोप्सी प्राप्त करना बढ़ाता है. जिसका अर्थ है कि जिन्हें चिकित्सा कारणों की वजह से बायोप्सी से गुजरना पड़ा था शोधकर्ताओं ने केवल उन 16 रोगियों के नमूने लिए .