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घर में सही सीडियां  मतलब सफलता की ऊंचाई, इन बातों ध्यान अवश्य रखना चाहिए 

 

घर की सही दिशा का जितना महत्व है, उतना ही घर की सीढ़ियों का सही दिशा में होना भी महत्वपूर्ण है। ये आपके घर की खुशियों के आने का रास्ता खोलती या बंद करती हैं। सीढ़ियां बनाते वक्त किसी भी इमारत या भवन में यदि वास्तुशास्त्र के नियमों का पालन करके सही वास्तुजोन में इनका निर्माण कराया जाए, तो उस घर में रहने वाले सदस्यों के लिए ये कामयाबी एवं सफलता की सीढ़ियां बन सकती हैं। इनसे निकलने वाली एनर्जी इतनी शक्तिशाली होती है कि यह सफलता के रास्ते को काफी हद तक प्रभावित करती है।वास्तु में सीढ़ियों का विशेष महत्व है, भवन के दक्षिण-पश्चिम यानी कि नैऋत्य कोण में पृथ्वी तत्व की प्रधानता होती है, अतः यहां सीढ़ियां बनाने से इस दिशा का भार बढ़ जाता है, जो वास्तु की दृष्टि में बहुत शुभ माना जाता है। इसलिए इस दिशा में सीढ़ियों का निर्माण सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इससे धन-संपत्ति में वृद्धि एवं स्वास्थ्य अच्छा रहता है।

दक्षिण में बनी सीढ़ियां निवासियों के लिए प्रसिद्धि और यश का कारण बनती हैं। पश्चिम दिशा में सीढ़ी का निर्माण करवाने से लाभदायक परिणाम मिलते हैं। यदि जगह का अभाव है, तो आग्नेय कोण में भी निर्माण करवाया जा सकता है। घर का मध्य भाग यानी कि ब्रह्म स्थान अति संवेदनशील क्षेत्र माना गया है। अतः भूलकर भी यहां सीढ़ियोंवास्तुशास्त्र के नियम के अनुसार सीढ़ियों का निर्माण उत्तर से दक्षिण की ओर अथवा पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर करवाना चाहिए। शुभ फल की प्राप्ति के लिए सीढ़ियों की संख्या विषम होनी चाहिए। जैसे- 5, 7, 9, 11, 15, 17 आदि। सीढ़ियों के शुरू और अंत में दरवाजा होना चाहिए। नीचे का दरवाजा ऊपर के दरवाजे के बराबर या थोड़ा बड़ा हो। वहीं एक सीढ़ी से दूसरी सीढ़ी का अंतर 9 इंच होना चाहिए।बिजली और अग्नि से संबंधित कोई भी सामान जैसे इंवर्टर, जनरेटर, वाटर कूलर, एसी मोटर, मिक्सी, मसाला या आटा पीसने की घरेलू चक्की आदि सीढ़ियों के नीचे रखना वास्तु दोष है।सीढ़ियों के नीचे किचन, पूजा घर, शौचालय, स्टोर रूम नहीं होना चाहिएजहांतक हो सके, गोलाकार सीढ़ियां नहीं बनवानी चाहिए।