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दुनिया के सबसे ताकतवर देश में जब एक तांत्रिक महिला ने मचा दिया था हाहाकार, इतिहास के पन्नों में दर्ज है इसकी खौफनाक कहानी

 

लाइफस्टाइल न्यूज डेस्क।। आज हम आपको एक ऐसे ही रहस्य के बारे में बताने जा रहे हैं जो अमेरिका से जुड़ा है. जहां एक बूढ़ी महिला के आने के बाद कुछ ऐसी घटनाएं हुईं जिन्हें जानकर यकीनन आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे. प्राचीन काल में पूरी दुनिया में कुछ ऐसी घटनाएं हुई जिनके रहस्य को कोई आज तक नहीं सुलझा पाया. दरअसल, संयुक्त राज्य अमेरिका के जोर्जिया नामक प्रान्त के प्राचीन अभिलेखों में एक ऐसी तात्रिक बूढ़ी महिला की जिक्र किया गया है जो इस इलाके में सिर्फ चार महीने तक रुकी थी. लेकिन इतने दिनों में यहां ऐसी घटनाएं हुई जिससे लोग सहम गए. यही नहीं इन घटनाओं ने पूरे अमेरिका में हाहाकार मचा दिया था.  

इसलिए किसी ने उसके बारे में ज्यादा ध्यान नहीं दिया. जब उस विक्षिप्त समझी जाने वाली बुढ़िया से पूछा गया तो उसने अपना नाम डास डंकन बतलाया. बुढ़िया अपने को कुमारी बतलाती थी. बुढ़िया के बाल श्वेत और शरीर अस्थियों का ढांचा मात्र था. यह घटना साल 1853 के 13 नवम्बर की है. तब यहां एक बुढ़िया अपनी चार बिल्लियों के साथ न जाने कहां से आई और फोर्ट वेनिंग क्षेत्र के ट्रेलर पार्क के पास एक फूटे खण्डहर में डेरा डाल कर रहने लगी. उस तांत्रिक बुढ़िया को तमाम लोगों ने देखा और सभी ने यही समझा कि वह कोई भिखारिन अथवा कोई पागल औरत है जो यहां आकर रहने लगी है. 

बुढ़िया के बाल श्वेत और शरीर अस्थियों का ढांचा मात्र था. इसके बाद वह बुढ़िया भी गायब हो गई और वह धुन्ध भी छंट गई. लोगों का अनुमान था कि वह कोई तांत्रिक क्रिया जानने वाली महिला थी. बुढ़िया अपने को कुमारी बतलाती थी. वह वहीं गप्त और प्रकट होती हुई डेरा डाले रहती है. हुआ यह कि लोगों ने उस खण्डहर को ही नष्ट कर डालने की ठानी और समूह बनाकर फावड़ा लेकर वहां पहुंचे. चर्चा का विषय सदैव यह रहता था कि तांत्रिक बुढ़िया का डेरा उसी खण्डहर में है. उस तांत्रिक बुढ़िया को कितनों ने ही देखा. मगर यही समझा कि कोई भिखारिन अथवा कोई पागल वृद्धा कहीं से आकर ठहर गई है. अतः किसी ने भी उसकी ओर ध्यान नहीं दिया. जब उस विक्षिप्त समझी जाने वाली बुढ़िया से पूछा गया तो उसने अपना नाम डास डंकन बतलाया. समूह अभी खण्डहर तक पहंचने भी न पाया था कि एक भयंकर चक्रवात उस क्षेत्र में अचानक प्रकट हुआ, जिसने उन सभी को उछालकर पटक दिया. 

यहां पर आश्चर्य इस बात का था कि वह तूफान खण्डहर व खण्डहर उखाड़ने वाले लोगों के इर्द-गिर्द ही घुमड़ता रहा और पन्द्रह मिनट तक उन्हें त्रास देने के उपरान्त स्वतः ही समाप्त हो गया. लोगों को काफी खासी चोटें आईं, पेड़ उखड़ गए, झोंपड़े उजड़ गए.  लगातार चार महीने तक यह उथल-पुथल बराबर चलती रही.

जानकार उसे मरण से पूर्व तांत्रिक क्रियाओं से आजीविका कमाने और सदा षड्यन्त्रों में संलग्न रहने वाली प्रकृति की बतलाते थे. मरने के बाद भी वह डरावने नाटक रचती रही. बाद में अपने आप ही उस बुढ़िया और उसकी हलचलों का न जाने कहां पलायन हो गया. लोगों को वह बुढ़िया जीवितों की तरह से दिखलाई देती थी किन्तु वस्तुत वह थी अदभूत प्रेतात्मा.