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मशीन जैसे गुणों से लैस है ये इंसान, जिसे लोग कहते है दुनिया का पहला रोबोमैन

 

लाइफस्टाइल न्यूज डेस्क।। आज के युग में तकनीक के बिना जीना मानवीय कल्पना से परे है। अब हम तकनीक के बिना एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकते हैं। हालांकि, अभी तक वैज्ञानिक इंसानों को नहीं बना पाए हैं। लेकिन उनके प्रयास अब भी जारी हैं। वैज्ञानिकों के इस प्रयास ने रोबोमन को जन्म दिया है जो आधा मानव और आधा मशीन है। आज हम आपको एक ब्रिटिश वैज्ञानिक द्वारा किए गए विज्ञान के इस अनोखे प्रयोग के बारे में बताने जा रहे हैं। इसीलिए उन्हें दुनिया का पहला रोबोट मैन कहा जा रहा है।

दरअसल ब्रिटेन में रहने वाले वैज्ञानिक डॉ. पीटर स्कॉट मॉर्गन ने 62 साल की उम्र में भी खुद को जिंदा रखने की यह अनोखी कोशिश की है। जिससे उन्होंने दुनिया के सामने एक अनूठी मिसाल पेश की है। दरअसल डॉ. पीटर स्कॉट मॉर्गन को मोटर न्यूरॉन नामक जानलेवा बीमारी थी, जो उनकी मांसपेशियों को नष्ट कर रही थी। उनके शरीर के कई अंग काम करने लगे।

इसके बाद उन्होंने विज्ञान का सहारा लिया और रोबोटिक्स का इस्तेमाल कर अपने जीवन को एक नया आयाम दिया। अब डॉ. पीटर मशीन की मदद से वह वह सभी काम आसानी से कर सकता है जो एक स्वस्थ व्यक्ति कर सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 2017 में डॉ. मॉर्गन को 'मोटर न्यूरॉन' का पता चला था, जो एक दुर्लभ मांसपेशी बर्बाद करने वाली बीमारी है। इसके बाद 2019 में उन्होंने खुद को आधा इंसान और आधा रोबोट में तब्दील करना शुरू किया और आज न सिर्फ जिंदा हैं बल्कि दुनिया के लिए एक मिसाल बन गए हैं।

वह कहते हैं, 'मेरा हमेशा से मानना ​​रहा है कि ज्ञान और तकनीक की मदद से जीवन में कई बुरी चीजों को बदला जा सकता है।' आधा इंसान और आधा रोबोट होने के नाते डॉ. मॉर्गन ने कई ऐसी चीजों की खोज की है, जो अविश्वसनीय हैं। उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से बॉडी लैंग्वेज नामक तकनीक की खोज की है। इसके साथ ही उन्होंने आई-ट्रैकिंग तकनीक का भी आविष्कार किया, जो कई कंप्यूटरों को नियंत्रित करने में सक्षम है।