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आखिर क्या है पाकिस्तान से रिवर्स इंजीनियरिंग का कनेक्शन, जिसकी हो रही दुनियाभर मे चर्चा

 

लाइफस्टाइल न्यूज डेस्क।। भारत की सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल 9 मार्च को पाकिस्तान में उतरी। बाद में यह दावा किया गया कि पाकिस्तानी शहर चन्नू मियां के पास जो मिसाइल उतरी वह एक भारतीय ब्रह्मोस थी। इस घटना के बाद इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि पाकिस्तान चीन की मदद से अपनी खुद की क्रूज मिसाइल रिवर्स इंजीनियरिंग से न बनाए। क्योंकि चीन और पाकिस्तान को रिवर्स इंजीनियरिंग का विशेषज्ञ माना जाता है। भारतीय मिसाइल 124 किमी दूर पाकिस्तान में उतरी।

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में मिसाइल के पड़े होने पर कई विशेषज्ञों ने चिंता जताई है. उनका कहना है कि पाकिस्तान मलबा इकट्ठा करके मिसाइल बनाने का तरीका समझ सकता है. इसको लेकर भारत भी चिंतित है। रिवर्स इंजीनियरिंग का अर्थ है यह समझना कि कुछ कैसे बनाया जाए। आइए जानते हैं क्या है रिवर्स इंजीनियरिंग और पाकिस्तान के बीच कनेक्शन?
 
दरअसल, पाकिस्तान मलबा इकट्ठा करके मिसाइल की नकल कर सकता है. पाकिस्तानी विशेषज्ञ मिसाइलों की खुफिया जानकारी हासिल कर सकते हैं और इसी तरह की मिसाइलें बना सकते हैं। इसका इस्तेमाल हमला करने के लिए भी किया जा सकता है। इसे रिवर्स इंजीनियरिंग कहा जाता है।

चीन और पाकिस्तान की वजह से पूरी दुनिया में इसकी चर्चा हो रही है। कहा जाता है कि दोनों देश डुप्लीकेट पनीर बनाने में माहिर हैं। ऐसी चिंताएं हैं कि चीन और पाकिस्तान रिवर्स इंजीनियरिंग द्वारा मिसाइल का कॉपी संस्करण नहीं बना सके।
रिवर्स इंजीनियरिंग - पाकिस्तान में क्या कनेक्शन है?

पड़ोसी देश पाकिस्तान पहले ही रिवर्स इंजीनियरिंग की मदद से डुप्लीकेट मिसाइल बना चुका है। पाकिस्तान ने रिवर्स इंजीनियरिंग से अमेरिकी मिसाइल टॉमहॉक क्रूज का डुप्लीकेट वर्जन तैयार किया है, जिसका नाम बाबर है। यह पाकिस्तान की पहली क्रूज मिसाइल है। इस बात का खुलासा पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने किया।

जानें कैसे बनाई गई थी मिसाइल

आतंकवादी संगठन अल कायदा ने केन्या और तंजानिया में अमेरिकी दूतावासों पर हमला किया। अलकायदा ने 1998 में अमेरिकी दूतावासों को निशाना बनाया था। अमेरिका ने तब से अफगानिस्तान में आतंकवादी ठिकानों पर टॉमहॉक क्रूज मिसाइल से जवाबी कार्रवाई की है। इसी बीच मिसाइल गलती से पाकिस्तान के बलूचिस्तान में जा गिरी।

पाकिस्तान ने अपनी पहली क्रूज मिसाइल, बाबर का निर्माण अमेरिकी क्रूज मिसाइल टॉमहॉक के मलबे का उपयोग करके किया था, जिसका परीक्षण भी पाकिस्तान ने 2005 में किया था।

सोवियत संघ ने भी बनाई मिसाइलें

पाकिस्तान के अलावा सोवियत संघ ने भी रिवर्स इंजीनियरिंग के जरिए मिसाइलें बनाईं। ताइवान ने 1958 में यूएस मिसाइल साइड विंडर लॉन्च किया, लेकिन मिसाइल में विस्फोट नहीं हुआ। चीन ने तब सोवियत संघ को मिसाइल दी, जिसने तब रिवर्स इंजीनियरिंग की मदद ली और K-13 मिसाइल विकसित की।