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भारत की इस रेलवे लाइन पर अंग्रेजों ने आज भी जमा रखा है कब्जा, हर साल भारत सरकार को चुकाना पड़ता है करोड़ों रुपये का किराया

 

लाइफस्टाइल न्यूज डेस्क।। भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। जो अमेरिका, चीन और रूस के बाद चौथे नंबर पर आता है। भारतीय रेल से प्रतिदिन लाखों लोग यात्रा करते हैं। हम सभी जानते हैं कि भारत में रेल परिवहन की शुरुआत 150 साल पहले अंग्रेजों ने की थी। जब देश आजाद हुआ तो अंग्रेजों द्वारा बिछाई गई रेलवे लाइन भारत की हो गई। लेकिन आज भी हमारे देश में एक रेलवे ट्रैक ऐसा है जो भारत का नहीं बल्कि अंग्रेजों का है और उसके लिए हर साल भारत को करोड़ों रुपए किराना रॉयल्टी के रूप में चुकाने पड़ते हैं। दरअसल, महाराष्ट्र के शकुंतला रेलवे ट्रैक को हर साल करोड़ों रुपये की रॉयल्टी देनी पड़ती है.

यह रेलवे ट्रैक कहां है?

बता दें कि शकुंतला रेल ट्रैक महाराष्ट्र के यवतमाल से अचलपुर के बीच करीब 190 किलोमीटर लंबा ट्रैक है। स्थानीय लोगों की जीवन रेखा माने जाने वाले इस ट्रैक पर शकुंतला पैसेंजर चलती है। भारत सरकार ने इस रेलवे ट्रैक को खरीदने के लिए कई बार कोशिश की लेकिन आज तक सफल नहीं हो पाई है।

इस रेलवे ट्रैक का मालिकाना हक एक ब्रिटिश कंपनी के पास है

आपको बता दें कि आजादी के बाद 1952 में जब भारतीय रेलवे का राष्ट्रीयकरण हुआ, लेकिन देश का एक भी रेलवे ट्रैक इसमें शामिल नहीं हो सका। क्योंकि यह रेलवे ट्रैक एक ब्रिटिश कंपनी के स्वामित्व में आता है। उस पर आज भी उनका अधिकार है। इसलिए सेंट्रल प्रोविजन्स रेलवे कंपनी की भारतीय इकाई ब्रिटेन की क्लिक निक्सन एंड कंपनी को हर साल करोड़ों रुपए की रॉयल्टी देनी पड़ती है।

पहले इस ट्रैक पर भाप के इंजन वाली ट्रेनें चलती थीं।

बता दें कि यह ट्रेन पिछले 70 सालों से भाप के इंजन से चल रही थी, लेकिन साल 1994 के बाद भाप के इंजन को बदलकर डीजल इंजन कर दिया गया. साथ ही इस ट्रेन की बोगियों की संख्या भी बढ़ाकर 7 कर दी गई है। बता दें कि अचलपुर से यवतमाल के बीच कुल 17 स्टेशन हैं और हर स्टेशन पर यह ट्रेन रुकती है। करीब 190 किमी की दूरी तय करने में इस ट्रेन को 6 से 7 घंटे का समय लगता है। हालांकि किन्हीं कारणों से यह ट्रेन फिलहाल बंद है। लेकिन फिर भी इस रेलवे ट्रैक को देखने के लिए पर्यटक अचलपुर से यवतमाल आते हैं।