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Holashtak: होली पर क्यों नहीं किया जाता कोई शुभ काम?

 

लाइफस्टाइल न्यूज डेस्क।। फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होली का पर्व मनाया जाता है। होली से 8 दिन पहले होलाष्टक होता है, जो फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को पड़ती है और पूर्णिमा यानी होलिका दहन तक चलती है। इस बार होलाष्टक 27 मार्च से शुरू होकर 3 को समाप्त होगा। होलाष्टक के दौरान किसी भी शुभ कार्य पर रोक लगा दी जाती है। होली के त्योहार से पहले की यह 8 दिन की अवधि अशुभ मानी जाती है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार इस अवधि में कोई शुभ कार्य या शुभ समारोह नहीं करना चाहिए लेकिन क्या आप जानते हैं क्यों?

क्यों होती है शुभ काम करने की मनाही?
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, इन 8 दिनों के दौरान सभी ग्रहों की प्रकृति उग्र हो जाती है और यह प्रकृति किसी भी शुभ कार्य को प्रभावित करेगी। इस दौरान अगर आप कोई शुभ काम करते हैं तो उसका नुकसान होगा या परिणाम अपेक्षा के विपरीत होता है।

हिरण्यकशिपु से जुड़ी कहानी
पौराणिक कथाओं के अनुसार, राजा हिरण्यकशिपु ने अपने पुत्र प्रह्लाद को फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तक 8 दिनों तक कई तरह से यातनाएं दीं। प्रह्लाद की भगवान विष्णु के प्रति अविभाजित भक्ति के कारण उसने अपने ही पुत्र को मारने की भी कोशिश की। 8वें दिन यानी फाल्गुन पूर्णिमा को हिरण्यकशिपु ने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को मारने की जिम्मेदारी सौंपी। हालांकि, भगवान विष्णु केी सुरक्षा के कारण प्रह्लाद बच जाते हैं जबकि होलिका जिसे वरदान दिया गया था कि आग उसे नुकसान नहीं पहुंचाएगी, वह आग में जलकर मर जाती है। इसी कारण होलिका दहन से पहले के आठ दिन होलाष्टक कहलाते हैं और शुभ नहीं माने जाते हैं।

भगवान शिव से भी जुड़ी कहानी
इसके अलावा पौराणिक कथाओं के अनुसार, पार्वती माता भगवान शिव को पाने के लिए तपस्या कर रही थीं। तब देवताओं ने उनकी मदद के लिए  कामदेव को पुष्पकबाण चलाने के लिए कहा। मगर, कामदेव को भगवान शिव के क्रोध का सामना करना पड़ा। जब भोलेनाथ ने तीसरा नेत्र खुला तो कामदेव भस्म हो गए। उस दिन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि थी। तब कामदेव की पत्नी देवी रति ने भगवान शिव से द्वापर युग में भगवान कृष्ण के पुत्र के रूप में दोबारा प्राप्त करने का वर मांगा। तभी से फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को अशुभ माना जाने लगा।

होलाष्टक के दौरान न करें ये काम
• धार्मिक मान्यता है कि होलाष्टक के दौरान इन 8 दिनों के बीच मुंडन, विवाह, नामकरण, अन्नप्राशन सहित 16 संस्कारों में से कोई भी संस्कार नहीं करना चाहिए। माना जाता है कि इन कामों को करने से शुभ फल नहीं मिलते हैं।
• होलाष्टक के दौरान कोई भी नया वाहन न खरीदें। अगर आपको कुछ खरीदना है तो पहले से बुक कर लें और फिर उसे होली पर घर लाएं।
• इस दौरान कोई नया कारोबार भी शुरू न करें। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार होलाष्टक के दिनों में अधिकतर ग्रह उग्र अवस्था में होते हैं, ऐसे में उनका सहयोग नहीं मिल पाता है। इससे व्यापार में घाटा होता है।
• होलाष्टक के दौरान किसी मकान या प्लॉट का रजिस्ट्रेशन भी न करें। अगर आप मकान बना रहे हैं तो होलाष्टक से पहले काम शुरू कर दें, फिर आप उसे इन दिनों में जारी रख सकते हैं।