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इंजेक्शन के बारे में कैसे तय किया जाता है कि हाथ में लगेगा या कमर में? जानिए इसके पीछे का कारण

 

लाइफस्टाइल न्यूज डेस्क।। इंजेक्शन को लेकर मन में एक हल्का सा डर जब भी हम डॉक्टर के पास जाते हैं तो बना ही रहता है। डॉक्टर हमे इंजेक्शन हाथ में लगाएगा या कमर में एक सवाल मन में उठता है? आप ने देखा होगा कि मरीज को स्वतंत्रता नहीं दी जाती है कि इंजेक्शन शरीर के किस हिस्से में लगाना है। यह चीज डॉक्टर ही तय करता है कि आपको इंजेक्शन हाथ में लगेगा या कमर में।

क्या ये आपकी बीमारी से तय होता है? या फिर मामला और ज्यादा पेचीदा है? क्या कमर और हाथ में लगाने वाली सुइयां अलग अलग होती है? या फिर डॉक्टर के पास जो सुई होती है वह उसी के अनुसार आपको लगा देता है? तो अब सवाल ये उठता है कि ऐसा क्यों होता है? आइए इस गुत्थी को सुलझाते हैं।

हाथ में ऐसे इंजेक्शन लगते हैं: हाथ में सिर्फ उसी प्रकार के इंजेक्शन लगते हैं जिसमें मौजूद लिक्विड खून में आसानी से घुल जाता है। इन्हें साधारण शब्दों में हल्के इंजेक्शन भी कहा जाता है। इन्हें हाथ में लगाने से बॉडी में कोई तकलीफ नहीं होती है। दरअसल इंजेक्शन आपको हाथ में लगेगा या कामर में, इसका फैसला आपको लगने वाली दवाई से होता है।

 

कमर में ऐसे इंजेक्शन लगाते हैं:  इस तरह के लिक्विड रक्त में मिलने के दौरान मरीज को दर्द का एहसास हो सकता है। इस दर्द को कम करने के लिए ही ऐसे इंजेक्शन आपकी कमर में लगाए जाते हैं। कमर में ऐसे इंजेक्शन लगाए जाते हैं जो आपके खून में आसानी से मिलते नहीं है। इस टाइप के इंजेक्शन को यदि गलती से हाथ में लगा दिया जाए तो बहुत दर्द होता है। कुछ मामलों में हाथ हमेशा के लिए काम करना बंद भी कर देता है।

इन्हें Hypertonic injection कहा जाता है। Hypotoinic injection खून में आसानी से मिल जाने के कारण दर्द भी कम करते हैं। वहीं Hypertonic injection को रक्त में मिलने में समय लगता है।  यह लॉजिक मेडिकल टर्म्स में समझाए तो हाथ में लगने वाले इंजेक्शन कम सांद्रता वाले यानि कम गाढ़े होते हैं। इन्हें Hypotonic injection कहा जाता है। वहीं कमर में लगने वाले इंजेक्शन अधिक सांद्रता वाले मतलब ज्यादा गाढ़े होते हैं। यह प्रक्रिया दर्दनाक भी होती है। इसलिए ऐसे इंजेक्शन कमर में लगाना चाहिए।