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भारत के इस अद्भुत गांव में लागू नहीं होता देश का संविधान, यहां चलता है खुद का कानून और नियम

 

लाइफस्टाइल न्यूज डेस्क।। हमारा देश दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। यहां भारत का संविधान हर राज्य, शहर, कस्बे और गांव में लागू है और हर नागरिक को इसके कानूनों का पालन करना जरूरी है। लेकिन आज हम आपको अपने देश के एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जहां के लोग भारत के संविधान और कानूनों का पालन नहीं कर रहे हैं। इतना ही नहीं इस गांव का अपना संविधान और अपना कानून भी है। इस गांव में बाहरी लोग प्रवेश नहीं कर सकते हैं। आप सोच रहे होंगे कि ये गांव जम्मू-कश्मीर में है तो आपको बता दें कि ये गांव हिमाचल प्रदेश में है और इस गांव का नाम मलाणा है। यह गांव कुल्लू जिले में स्थित है।

इस गांव के लोग अपने गांव के कानूनों का पालन करते हैं और इसके संविधान का पालन करते हैं। यह गांव खूबसूरत घाटियों के बीच स्थित है। गांव के लोग खुद को सिकंदर का वंशज बताते हैं। कहा जाता है कि सिकंदर की तलवार आज भी गांव के एक मंदिर में रखी हुई है। आज भी ग्रामीण देश के कानूनों का पालन नहीं करते हैं, उनकी अपनी संसद है जिसमें दो सदन होते हैं। ऊपरी सदन में 11 लोग हैं। इसके 3 गुरु, पुजारी और देवता हैं। इस संसद में प्रत्येक सदन से एक व्यक्ति उपस्थित होता है। यदि कोई निर्णय लिया जाता है, तो अंतिम निर्णय देवता जमलू द्वारा लिया जाता है।

बाहरी लोगों या पर्यटकों को गांव में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है

इतना ही नहीं सबसे बड़ी हैरानी की बात यह है कि मलाणा गांव में बाहरी लोगों के प्रवेश पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है. गांव में रहने वाले लोग आपस में बहुत कम मिलते जुलते हैं। इतना ही नहीं लोग एक-दूसरे से हाथ भी नहीं मिलाते। सबसे हैरानी की बात तो यह है कि गांव के दुकानदार ग्राहकों से पैसा नहीं लेते हैं। ग्रामीण दीवारों को छूते भी नहीं हैं। पर्यटकों के भी गांव में आने पर रोक लगा दी गई है। बता दें कि गांव के लोग ही आपस में अपने ही गांव में शादी करते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि मलाणा गांव भांग और चरस की खेती के लिए पूरे देश में जाना जाता है।