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Siachen Glacier के वो Scary Truths जिन्हें जाने के बाद आप Indian Army पर करने लगेंगे और Proud

 

ट्रेवल न्यूज डेस्क।। थोड़ा सा भी सर्दियों में तापमान गिरने के बाद हमें कम लगने लगती हैं हमारी जैकेट्स भी, तो सोचिए हमारे भारतीय जवानों का सियाचिन में बैठे  क्या हाल होता होगा। चलिए सियाचिन ग्लेशियर से जुड़े कुछ दिलचस्प फैक्ट्स आज हम आपको बताते हैं, आपको यकीनन जिनके बारे में जानने के बाद अपने जवानों पर और गर्व होने लगेगा।

कब तक आएगा फिर से सप्लाई हेलीकॉप्टर नहीं होती इसकी जानकारी -
किसी को वहां के मौसम के बारे में पता नहीं होता, ऐसे में  किस समय तक पहुंचेगा सप्लाई पहुंचाने वाला हेलीकॉप्टर इस बात की जानकारी किसी को भी नहीं होती। लेकिन अपनी जान जोखिम में डालकर फिर भी पायलट समय पर सप्लाई पहुँचाने में मदद करते हैं।

कभी-कभी रहती है जीरो विजिबिलिटी -

आप अपनी आंखों के सामने इस दौरान अगर हाथ भी रखें, आपको वो तब भी नहीं दिखाई नहीं देंगे। एक दूसरे को ऐसे में सैनिक रस्सियों से बांधकर रखते हैं, तूफान में साथ में रहने में इस तरह उन्हें मदद मिलती है।

जवानों के सोने के लिए नहीं होते बेड -
काफी स्पेस बिस्तर रखने के लिए लेते हैं, अपनी खाली जगहों का इसलिए सैनिक केवल सप्लाई के लिए इस्तेमाल करते हैं और उन्हें बेड के रूप में उपयोग करते हैं।

नहाने धोने के लिए पानी को पिघलाने के लिए लगते हैं 3 घंटे -
पानी से जुड़ी कोई सही सुविधा नहाने के लिए उनके पास नहीं होती, क्योंकि लंबे समय तक पानी यहां गर्म नहीं रहता। वे खुद को बस अच्छे से साफ कर लेते हैं।

ग्लेशियर में सैनिक के रहने का समय-
रोजाना करीब 5 से 7 करोड़ रुपये भारत ग्लेशियर की सुरक्षा पर खर्च करता है। लगभग 3000 सैनिक हमेशा ग्लेशियर में ड्यूटी पर रहते हैं। जिसे ग्लेशियर की रक्षा करने की ड्यूटी मिलती है प्रत्येक सैनिक लगभग तीन महीने की सेवा करता है।कठोर मौसम की स्थिति को इससे ज्यादा एक आदमी सहन नहीं कर सकता।