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इन देशों की इन खौफनाक सजाओं के बारे में जानकर ही दहल उठेगा आपका दिल

 

लाइफस्टाइल न्यूज डेस्क।। बचपन से ही ये तो आपको सिखा दिया जाता है कि अगर आप कुछ गलती करते हैं तो आपको सजा मिलेगी. आजकल तो जेल में डाल दिया जाता है, लेकिन पहले तो बहुत क्रूर तरीके से सजा दी जाती थी, जिनके बारे में सुनकर आप खुद ही हैरान रह जाएंगे. गलती कुछ भी हो उसके लिए सजा तो मिलती है और ये अपराध के हिसाब से बदल जाती है. बड़े अपराध की बड़ी सजा. ऐसे में जानते हैं कि पहले कैसे सजा दी जाती थी, जो वाकई बहुत खतरनाक है.

हाथी से कुचलवा दिया जाता था
दोषियों को सजा के तौर पर हाथियों से कुचलवाया जाता था. दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में दोषियों को सजा देने के लिए भारी-भरकम हाथी का इस्तेमाल किया जाता था. इस क्रूर सजा के लिए बाकायदा हाथियों को ट्रेनिंग दी जाती थी ताकि वे दोषियों को भयानक मौत दे सकें.

नाक काट देना
यह सजा भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों को भी यही सजा दी जाती थी. पहले मिस्र में कानून तोड़ने पर सजा के रूप में लोगों की नाक काट देते थे. इसके बाद उन्हें एक खास जेल में भेज दिया जाता था. 

मेटल बुल में मौत
इस सजा में एक सांड जैसे लोहे की आकृति होती थी, उसमें एक दोषी व्यक्ति को घुसा दिया जाता था और फिर नीचे से आग लगा दी जाती है. ग्रीस में लोंगो को मेटल बुल की एक खास सजा दी जाती थी. इससे लोहा गरम हो जाता था और धीरे धीरे वो व्यक्ति लोहे के उस सांड में जलता रहता है और उसकी मौत हो जाती है.

आयरन मेडन
इसमें इंसान को घुसा दिया जाता है और उसके गेट पर बड़े बड़े कीले लगे होते हैं और फिर गेट को बंद किया जाता है. इस सजा में एक इंसान की आकृति की शेप का लोहे का एक सांचा होता है. जैसे जैसे गेट बंद होते हैं तो वो कीले इंसान के शरीर में घुस जाते हैं और धीरे धीरे वो व्यक्ति मर जाता है.

लिंग शी
 सजा के तहत दोषियों को पहले एक टेबल पर लिटाकर बांध दिया जाता था और फिर धारदार हथियार से चीरे लगाने शुरू कर दिए जाते थे. लिंग शी दुनिया की सबसे क्रूरतम सजाओं में शुमार है. इसमें शरीर के टुकड़े हो जाते हैं और कई देशों में अलग अलग तरीके से इंसान के टुकड़े करने की सजा दी जाती है. सजा का यह तरीका 10वीं सदी के चीन में इस्तेमाल किया जाता था.इस सजा में दोषी के शरीर पर हजारों कट लगाए जाते थे. 

पानी में उबालकर मारना
कई मामलों में ये भी सुनने को मिला है कि पहले दोषी को ठंडे पानी में रखा जाता था और फिर उसे वहां से निकालकर सीधे उबलते हुए पानी में डाल दिया जाता था. सैकड़ों साल पहले मृ्त्युदंड देने के लिए दोषियों को उबलते हुए पानी, तेल या तारकोल में जिंदा डाल दिया जाता था. इस तरह की सजा का प्रचलन पूर्वी एशिया से इंग्लैंड तक था.