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बढते Corona में Sainatry Pad से भी रहता है Omicron के साथ Cancer का भी खतरा, जानिए क्या कहते हैं Exepert

 

हैल्थ न्यूज डेस्क।। हर वयस्क महिला को पीरियड्स महीने में एक बार आना आवश्यक हैं। यह एक क्रम है जो हर महिला को होता है। ऐसे में महिलाएं ब्लीडिंग से होने वाली परेशानीयों से बचने के लिए करीब 90% महिलाएं सैनेटरी पैड्स का यूज करती हैं। ये बात अलग है कि आज के जमाने में भी अधिकतर गांव या आदिवासी कस्बों में निवास करने वाली 10% महिलाएं सैनेटरी पैड के यूज के बारे में नही जानती है। मार्केट में आजकल ब्लीडिंग सोखने के लिए टैम्पोन्स, मेन्स्ट्रुअल कप भी उपलब्ध हैं। लेकिन फिर भी महिलाएं सबसे ज्यादा सेनेटरी नैपकिन ही यूज होता है। लेकिन शायद आपको इस बात की खबर नहीं है कि पीरियड्स को आरामदायक बनाने वाले नैपकिन सेहत को नुकसान भी पहुंचा सकते हैं। चलिए जानते हैं कि सचमुच आपको कैंसर का मरीज बना सकता है नैपकिन...

क्या सेनेटरी पैड्स से हो सकता है कैंसर?
हालांकि कुछ रिसर्च का कहना है कि इसे बनाने के लिए यूज होने वाले डाइऑक्सिन व अन्य पदार्थ बीमारियों का कारण बन सकता है। एक्सपर्ट की मानें तो इस बात कोई प्रमाण नहीं है कि सेनेटरी पैड या डायपर सीधा कैंसर की वजह बन सकते हैं। 

इनसे यूट्रस के साथ-साथ शरीर के किसी भी हिस्से में कैंसर कोशिकाओं को जन्म देने में सक्षम है।दरअसल, नैपकिन के तत्व पानी के संपर्क में आते ही वोलेटाइल आर्गेनिक कंपाउंड जैसे क्लोरीन, टोलेडीन छोड़ते हैं, जो जो कैंसर के कारक माने जाते हैं। इसके अलावा इसमें बीपीए और बीपीएस जैसे प्लास्टिक व सुपर एब्सॉर्बेंट पॉलिमर स्किन को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।

इन बातों का रखें ध्यान

. प्यूबिक एरिया के आस पास साफ-सफाई का खास ख्याल रखें। साथ ही हमेशा सूखे व साफ अंडर गारमेंट्स पहनें।
. सेनेटरी नैपकिन की बजाए ऑर्गेनिक क्लॉथ पैड या मेंस्ट्रुअल कप का यूज करें। 
. कार्बन, रासायनिक प्रदूषक, बायोडिग्रेडेबल और रासायन मुक्त सेनेटरी नैपकिन का इस्तेमाल करें।
. एक दिन में कम से कम 2 बार पैड जरूर बदलें।
. खुशबूदार सेनेटरी पैड के इस्तेमाल से बचें क्योंकि इससे वैजाइना इंफेक्शन का खतरा रहता है।

सेनेटरी नैपकिन के इस्तेमाल के संभावित जोखिम
पीरियडस के दौरान इनके इस्तेमाल से सिर्फ कैंसर ही नहीं, सेनेटरी नैपकिन के लिए इस्तेमाल होने वाला सामान कई बीमारियों का कारण बन सकता है जैसे...

. यूटीआई, यूरिन या फंगल इंफेक्शन
. इम्यून सिस्टम को नुकसान
. हार्मोनल समस्याएं
. वैजाइना इंफेक्शन का खतरा