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ड्रग्स कर रहा है युवाओं के भविष्य से खिलवाड, जाने देश में रिकार्ड, कारण व उपाय

 

लाइफस्टाइल न्यूज डेस्क।। आजकल के बदलते लाइफस्टाइल में हमारे देश में नशा एक ऐसा अभिशाप बन कर उभर रहा है जो हमारे युवाओं को तेजी से अपनी गिरफ्त में लेता जा रहा है। और साल-दर-साल इन युवाओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है। आधुनिक जीवन शैली,बढ़ता तनाव, अकेलापन, दिनों दिन बढती प्रतिस्पर्धा ,रोजगार सम्बन्धित परेशानियां ,असफल प्रेम संबंध, आर्थिक परेशानियां ,भारतीय संस्कृति पर हावी पाश्चात्य जीवन शैली।शायद इन युवाओं का झुकाव नशे की तरफ ले जाता है। नशा करने वाला व्यक्ति भले ही पहली बार शौक से नशा करता हो या फिर अपनी परेशानी को भूल कर सुकून के दो पल बिताने के लिए या फिर अपने आप को आधुनिक दिखाने के लिए।लेकिन धीरे-धीरे वह इस नशे का आदी हो जाता है ।और फिर एक समय ऐसा भी आता है जब नशा लेना या नशा करना उसकी मजबूरी बन जाती है। बिना नशा किये वह रह नहीं सकता है।

नशा करता है पूरे परिवार को बर्बाद 

Drug एक ऐसा रोग है।जिसको करने वाला ही बर्बाद नहीं होता। उसका पूरा परिवार बर्बाद हो जाता है ,बिखर जाता है। और सबसे दुखद बात यह है कि नशा करने वालों में सबसे ज्यादा संख्या हमारे युवाओं की है। जिन्हें हम अपने देश का भविष्य कहते हैं। जरा एक पल के लिए सोचिए जिस देश के युवा नशे की गिरफ्त में होंगे उस देश का भविष्य क्या होगा ? इसमें न सिर्फ लड़के, लड़कियां भी बड़ी संख्या में शामिल है। जो इस नशे की आदी हो चुकी और सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि छोटे-छोटे बच्चे भी नशे के आदी हो चुके हैं। नशा करने वाले ज्यादातर 15 वर्ष से 30 वर्ष तक के आयु वर्ग के युवा हैं। एक बार कोई युवा इस नशे की गिरफ्त में आ जाता है तो उसको समझाना काफी मुश्किल हो जाता है। क्योंकि नशा करने वाले व्यक्ति की सोचने समझने की शक्ति धीरे-धीरे खत्म हो जाती  है।

नशा हमारे देश के युवा वर्ग को बुरी तरह से बर्बाद कर रहा हैं। 

वैसे तो Drug कारोबारियों की नजर उन सभी जगहों पर रहती है जहां पर युवाओं का ज्यादा आना जाना होता है क्योंकि युवा ही इनके सॉफ्ट टारगेट होते है।और जिनको ये आसानी से अपने जाल में फंसा लेते है। इसीलिए स्कूल ,कालेज, विश्वविद्यालय तथा हॉस्टल नशाखोरी के सबसे बड़े हब के रूप में उभर रहे हैं। नशा कारोबारियों की टेढ़ी नजर इन सभी संस्थान को लग चुकी है। बीते कुछ वर्षों में नशा कारोबारियों ने इन्हीं जगहों तथा इसके आसपास के क्षेत्रों को सबसे सुरक्षित मान कर इन्ही जगहों पर अपना कारोबार खूब फैलाया है और इसमें वो सफल भी हुए है। लगभग सभी राज्यों के कॉलेज या व्यावसायिक संस्थानों के परिसरों को गुटका,सिगरेट ,चरस ,गांजा ,अफीम , हीरोइन आदि जैसे नशीले पदार्थों का धंधा करने वालों ने अपनी चपेट में ले लिया है। नशे के व्यापारियों ने उन्ही छात्रों के बीच से कुछ छात्रों को अपने एजेंट के रूप में तैयार कर लिया है।इन छात्रों को लालच के साथ साथ टारगेट भी दिया जाता हैं।और यही एजेंट छात्र अन्य छात्रों को बहला-फुसला कर नशे का आदी बना देते है। हॉस्टल में रहने वाले ज्यादातर छात्र इनके सबसे आसान शिकार होते हैं। क्योंकि वो घर से दूर अकेले रहते हैं और ज्यादातर समय अकेले बिताते हैं। और कभी-कभी वो घर परिवार व संगी साथियों की याद में भावनात्मक रूप से कमजोर पड़ने लगते हैं तब ये लोग आसानी से उनके झांसे में आ जाते हैं।

 
नशीले पदार्थ व नश लेने के तरीके 
 
चरस, स्मैक, गांजा, अफीम ,हेरोइन, तंबाकू ,सिगरेट, शराब, ब्राउनशुगर आदि जैसे नशीले पदार्थों का सेवन लोग नशा करने के लिए करते है। कुछ जीवन रक्षक दवाओं का प्रयोग भी कुछ लोग नशा करने के लिए कर रहे हैं। नशीली दवायों या तो इंजेक्शन के माध्यम से या फिर टेबलेट के रूप में ली जाती हैं। कुछ लोग तो तीन तरह के इंजेक्शनों का कॉकटेल (एविल, डाइजापाम तथा ल्यूटिजेसिक) बनाकर इंजेक्शन के माध्यम से इसे अपने शरीर में पहुंचा कर अपना जीवन बर्बाद कर रहे हैं। जितना हाईटेक जमाना नशे की चीजों भी उतनी ही हाईटेक ऊपर पाश्चात्य संस्कृति का असर। हाई सोसाएटी के लोग पब या बड़े होटलों में जाकर खूब शराब पीते है तो मध्यम वर्ग अपने औकात के हिसाब से जगहें ढूँढ ही लेता हैं। और निम्नं वर्ग जिसके पास दो बक्त की रोटी खाने का भी जुगाड नहीं हैं। वह अपने बच्चों का पेट भरने से बेहतर नशा करना समझाता हैं। पश्चमी देशों में ई-सिगरेट का बहुत ज्यादा प्रचलन तो था ह़ी लेकिन हाल के वर्षों में इसका प्रचलन भारत जैसे देश में भी बहुत बड़ा है। बहुत से लोग इसे सुरक्षित मानते है मगर यह भी तम्बाकू जितना ही हानिकारक होता हैं इससे फेफड़े को शरीर से ज्यादा नुकसान पहुचता है। ई-सिगरेट में मौजूद सिन्नामेलिडहाइड रसायन शरीर की कोशिकओं को भी नुकसान पहुचाता है। यहा तक कि सिंथेटिक अडेसिव (चिपकाने वाले पदार्थ )का भी इस्तेमाल नशे के लिए किया जाता है ।


नशा करने की वजह 

तनाव,अकेलापन या आर्थिक परेशानियां,पारिवारिक परेशानियां ,कैरियर की असफलताएँ ,असफल प्रेम संबंध के साथ और भी कई कारणों की वजह से इन्सान नशे की तरफ आकर्षित होता है। अधिकतर नशा करने से सम्बन्धित दवायें मेडिकल स्टोरों में आसानी से उपलब्ध हो जाती है और उनकी बिक्री पर भी किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं है जिसकी वजह से ये आसानी से उस दवा को खरीदकर उसका उपयोग करते हैं। बेरोजगारी,हताशा भी युवाओं को नशे की तरफ धकेल रहा है। कई बार बेरोजगार युवक घर परिवार तथा समाज के लोगों की तानों से तंग आकर भी नशे की गिरफ्त में पहुंच जाते हैं। और कुछ लोग अपने नशेड़ी दोस्तों के बहलाने फुसलाने में आकर नशा करना शुरू करते हैं। मजदूर या निम्न तबके के लोग जो दिनभर जी तोड़ मेहनत करते हैं वो लोग अक्सर दिनभर तंबाकू, गुटखा या बीडी का सेवन करते हैं। तंबाकू व गुटखे के पैकेट में छपी वैधानिक चेतावनी के बाद भी लोग इसका सेवन धड़ल्ले से करते हैं । कई लोग इसका परिणाम जानते हैं और उनमें से कई लोग इसका परिणाम भी नहीं जानते हैं। शिक्षा का अभाव शायद इसका सबसे बड़ा कारण है। और सबसे ज्यादा प्रभाव जो किशोर मन पर सीधा डालता है वह टीवी पर धड़ल्ले से चलने वाले नशीली पदार्थों के विज्ञापन और फिल्मों में उनके मन पसंदीदा नायक द्वारा इन चीजों का सेवन करना। इसका एक बडा कारण अपने देश के युवाओं द्वारा पश्चिमी सभ्यता को अपनाना भी है जो वहा के लोगों की नकल कर अपने को मार्डन दिखाना चाहते है।

रोकने के उपाय 

अगर कोई भी व्यक्ति जो नशा लेने का आदी हो जाए उसे उस दलदल से निकालना काफी कठिन हो जाता हैं। लेकिन एक अच्छा डॉक्टर, एक अच्छा मनोचिकित्सक व परिवार का सहयोग उस व्यक्ति को नशे की आदत छोड़ने में मदद कर सकता है। अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा बुरी आदतों का शिकार न हो या ऐसे भयानक दलदल में ना फंसे तो परिवार के बड़े सदस्यों या मां-बाप को हमेशा अपने स्कूल जाने वाले किशोर बच्चों पर नजर रखनी होगी। उनके दोस्तों के बारे में मां-बाप को पूर्ण जानकारी होनी चाहिए। आप उनके मोबाइल व  कंप्यूटर पर नजर रखिए क्योंकि आजकल बच्चे सबसे ज्यादा अपना समय सोशल मीडिया पर ह़ी बिताते हैं। सोशल मीडिया से अपने दोस्तों के साथ जुड़े रहते हैं और अपनी बातों को शेयर करते हैं। उनके साथ दोस्ताना व्यवहार रखकर उनके मन के बात जानने का प्रयास करें।