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जब सूर्य देव से हुआ प्रभु रामलला का मिलान उस अद्भुत क्षण का ये पवित्र वीडियो सभी रामभक्तों को समर्पित है ,जय श्री राम 

 

देशभर में रामनवमी मनाई जा रही है और इस बार रामनवमी का त्योहार बेहद खास है. 500 साल के लंबे इंतजार के बाद पहली बार भगवान श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या में बने भव्य महल में रामनवमी मनाई जा रही है. यहां सूर्यदेव स्वयं सूर्यवंशी भगवान श्रीराम के मस्तक पर तिलक करेंगे। 22 जनवरी 2024 को प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला अयोध्या में अपने भव्य महल में विराजमान हैं और अब भगवान राम के जन्मदिन यानी रामनवमी पर भगवान राम सूर्य तिलक करेंगे। रामनवमी पर भगवान राम का सूर्य तिलक करीब 4 मिनट तक रामलला के मस्तक पर सुशोभित रहेगा.

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हिंदू धर्म और वैदिक ज्योतिष में सूर्य देव का विशेष महत्व है। वैदिक काल से ही सूर्य को प्रत्यक्ष देवता के रूप में पूजा जाता रहा है। सूर्यदेव को ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत और पिता का दर्जा प्राप्त है। त्रेता युग में भगवान विष्णु के सातवें अवतार के रूप में सूर्यवंशी और मर्यादा पुरूषोत्तम प्रभु राम का जन्म अयोध्या में हुआ था। भगवान राम हमेशा अपने दिन की शुरुआत सूर्यदेव को जल चढ़ाकर करते थे। महर्षि अगस्त ने भगवान राम को सूर्य के प्रभावशाली मंत्र 'आदित्य हृदयस्तोत्र' की दीक्षा दी।

सूर्य पूजा का महत्व

शास्त्रों में सूर्यदेव को प्रत्यक्ष देवता कहा गया है और उनकी पूजा का विशेष महत्व है। हिंदू धर्म में पंचदेव की पूजा का वर्णन किया गया है, जिसमें गणेश पूजा, शिव पूजा, विष्णु पूजा, देवी भगवती पूजा और सूर्य पूजा प्रमुख हैं। ऐसा माना जाता है कि प्रतिदिन सूर्य की पूजा करने से कई रोग दूर हो जाते हैं। सूर्यदेव की पूजा बहुत ही सरल मानी जाती है। सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए प्रतिदिन सूर्योदय के समय अर्ध्य दिया जाता है। ज्योतिष शास्त्र में भी सूर्य का विशेष महत्व है। ज्योतिष में सूर्य को आत्मा का कारक और ग्रहों का राजा माना जाता है। जातकों की कुंडली में सूर्य की स्थिति उनके जीवन पर बहुत प्रभाव डालती है। जिन लोगों की कुंडली में सूर्य उच्च और शुभ स्थिति में होता है, उन्हें जीवन में हर तरह का मान-सम्मान, यश और धन मिलता है। पृथ्वी पर मौजूद सभी जीव-जंतुओं और पौधों में ऊर्जा का स्रोत सूर्यदेव ही हैं। सूर्य देव के प्रकाश से पृथ्वी का अंधकार दूर होता है और संसार में जीवन शक्ति का प्रवाह होता है।