आज करें श्री विष्णु के इन मंत्रों का जाप, मिलेगा आशीर्वाद
ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म में गुरुवार के दिन भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा को समर्पित हैं इस दिन श्री विष्णु और मां लक्ष्मी और देवताओं के गुरु बृहस्पति देव की पूजा की जाती हैं इसके अलावा, माह में दो एकादशी तिथियों को भी भगवान विष्णु की पूजा की जाती हैं इस दिन व्रत करने से जातक को मरणोउपरांत मोक्ष मिलता हैं ऐसा कहा जाता है कि एकादशी की रात्रि में जागरण करने से जातक को वैकुंठ लोक में स्थान प्राप्त होता हैं।
वही गुरुवार के दिन विष्णु उपासना करने से जातक के सभी मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं साथ ही घर में सुख, शांति समृद्धि और वैभव का आगमन होता हैं अत: गुरुवार के दिन मनोकामना पूर्ति के लिए श्री विष्णु के निमित्त व्रत जरूर करें। ज्योतिष की मानें तो लड़कियों के विवाह के कारक गुरु होते हैं। गुरु मजबूत रहने से लड़कियों की शादी शीघ्र हो जाती हैं वहीं गुरु कमजोर होने पर शादी में देरी होती हैं इसके लिए अविवाहित लड़कियों को गुरुवार का व्रत करने की सलाह दी जाती हैं साथ ही करियर और कारोबार को नया आयाम देने के लिए भी गुरु मजबूत करने के लिए कहते हैं गुरवुार के दिन विष्णु कृपा पाने के लिए पूजा सुमरन के साथ ही मंत्रों का जाप करना चाहिए तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं विष्णु मंत्र।
1.
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
2.
ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीवासुदेवाय नमः
3.
ॐ नमो नारायणाय
4.
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
ॐ हूं विष्णवे नम:
5.
धन-वैभव मंत्र -
ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।
ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।
6.
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥
7.
ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान।
यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टं च लभ्यते।।
8.
ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान।
यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टं च लभ्यते।
9.
या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।
या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥
या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।
सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती॥
10.
लक्ष्मी स्त्रोत
श्रियमुनिन्द्रपद्माक्षीं विष्णुवक्षःस्थलस्थिताम्॥
वन्दे पद्ममुखीं देवीं पद्मनाभप्रियाम्यहम्॥