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महाभारत के अधिकतर पात्र है श्राप से ग्रसित, वरना कुछ और ही होती इसकी कथा

 
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ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: महाभारत की कहानी वैसे तो सभी जानते हैं मगर आपको बता दें कि महाभारत के अधिकतर पात्र किसी न किसी श्राप में फंसे हुए थे। अगर ये श्राप न होता तो शायद आज महाभारत की कहानी कुछ और ही होती हैं देखा जाए तो हिंदू धर्म ग्रंथों में अनेकोंनेक श्रापों का वर्णन मिलता हैं और हर श्राप के पीछे कोई न कोई कथा जरूरी होती हैं तो आज हम आपको महाभारत में उल्लेखित ऐसे ही प्रसिद्ध श्राप और उनके पीछे की कहानी बताएंगे, तो आइए जनते हैं। 

महाभारत के अनुसार एक बार राजा पांडु शिकार खेलने वन में गए उन्होंने वहां हिरण के जोड़े को मैथुन करते देखा और उन पर बाण चला दिया।वास्तव में वो हिरण व हिरणी ऋ​षि किंदम व उनकी पत्नी थी। तब ऋशि किंदम ने राजा पांडु को श्राप दिया कि जब भी वो किसी स्त्री के साथ संभोग करेंगे उसी समय उनकी मृत्यु हो जाएगी। इसी श्राप के चलते जब राजा पांडु अपनी पत्नी माद्री के साथ संभोग कर रहे थे उसी समय उनकी मृत्यु हो गई। 

महाभारत के शांति पर्व के अनुसार युद्ध समापत होने के बाद जब कुंती ने युधिष्ठिर को बताया कि कर्ण तुम्हारा बड़ा भाई था तो पांडवों को बहुत दुख हुआ तब युधिष्ठिर ने विधि विधान पूर्वक कर्ण का भी अंतिम संस्कार किया। माता कुंती ने जब पांडवों को कर्ण के जन्म का रहस्य बताया तो शोक में आकर युधिष्ठिर ने संपूर्ण स्त्री जाति को श्राप दिया कि आज से कोई भी स्त्री गुप्त बात छिपा कर नहीं रख सकेगी। महाभारत के अनुसार भीष्म पितामह पूर्व जन्म में अष्ट वसतुओं में से एक थे। एक बार इन अष्ट वसुओं ने ऋषि वशिष्ठ की गाय का बलपूर्वक अपहरण कर लिया। जब ​ऋषि को इस बात का पता चला तो उन्होंने अष्ट वसुओं को श्राप दिया कि तुम आठों वसुओं को मृत्यु लोक में मानव रूप में जन्म लेना होगा और आठवें वसु को राज, स्त्री आदि सुखों की प्राप्ति नहीं होगी। यही आठवें वसु भीष्म पितामह थे। 
 

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