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वैवाहिक जीवन पर इस तरह असर डालता है शनि, जानें बचने के उपाय

 
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लाइफस्टाइल न्यूज डेस्क।। आधुनिक जीवन में बहुत से ऐसे लोग हैं जो ग्रहों और नक्षत्रों के प्रभाव में विश्वास नहीं करते हैं। उनके लिए यह सिर्फ किताबी बातें हैं जिनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। खासतौर पर शादी जैसे मौकों पर आज की युवा पीढ़ी जन्म कुण्डली के मेल को पूरी तरह बकवास मानती है. लेकिन जो लोग नक्षत्रों की चाल में विश्वास करते हैं वे जानते हैं कि ग्रहों और नक्षत्रों की चाल में एक छोटा सा बदलाव भी कैसे वैवाहिक जीवन को बर्बाद कर सकता है।

शनि आपको आपके पार्टनर से दूर कर सकता है।

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अगर आपकी कुंडली में शनि की स्थिति ठीक नहीं है तो आपको अपने वैवाहिक जीवन में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। शनि के अशुभ प्रभाव आपके भीतर उदासीनता की भावनाओं को मजबूत कर सकते हैं और आपको अपने साथी से हमेशा के लिए दूर कर सकते हैं। यदि शनि की चाल अनुकूल नहीं है तो न केवल आपके वैवाहिक जीवन में रुकावटें आ सकती हैं बल्कि आपको लंबे समय तक अविवाहित भी रहना पड़ सकता है।

शादी से पहले जानिए शनि की चाल

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि आपकी कुंडली में शनि सप्तम या अष्टम भाव में है तो आपके विवाह में देरी हो सकती है। यदि शुक्र भी शनि के साथ सप्तम भाव में बैठा हो तो आपमें काम करने की भावना प्रबल होती है। ऐसे में व्यक्ति बिना सोचे समझे विपरीत स्वभाव का साथी चुन लेता है। इस चरण में प्रेम विवाह की संभावना बढ़ जाती है।

वैवाहिक जीवन पर इस तरह असर डालता है शनि, जानें बचने के उपाय

मंगल शनि और शुक्र के साथ हो तो अशुभ होता है।

वैसे तो मंगल स्वभाव से शुभ है। लेकिन अगर मंगल की युति शनि और शुक्र के साथ हो तो आपका वैवाहिक जीवन काफी परेशानी भरा हो सकता है। ऐसे लोगों के जीवन में एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर यानी अपने पार्टनर के अलावा किसी और से संबंध होने की संभावना बढ़ जाती है। बात इतनी बिगड़ सकती है कि वैवाहिक जीवन में बहुत तनाव हो सकता है और तलाक भी हो सकता है। इतना ही नहीं, अगर आपकी कुंडली में चंद्रमा सप्तम भाव में शनि के साथ युति कर रहा है तो जीवनसाथी से भी संबंध बिगड़ सकते हैं।

जानिए देर से या बेमेल विवाह का कारण

यदि शनि नीच राशि में मेष राशि में सप्तम भाव में है तो उसका विवाह अधिक उम्र के व्यक्ति से होगा। आपको बता दें कि शनि और सूर्य एक दूसरे के शत्रु हैं। अगर आपकी कुंडली में सप्तम भाव में ये दोनों ग्रह एक साथ बैठे हैं तो विवाह में देरी होती है। इसके साथ ही वैवाहिक जीवन में अक्सर तनाव और असहमति रहती है। इसका असर वैवाहिक जीवन के सुख पर पड़ता है।

शनि की शुभ युति

यदि शनि कुण्डली में उच्च राशि अर्थात तुला या स्वराशि, कुम्भ या मकर में स्थित हो तो भी शुभ फल देता है। अष्टम भाव में शनि के शुभ होने पर व्यक्ति को ससुराल से धन और सहयोग प्राप्त होता है। दांपत्य जीवन में उससे प्रेम और सहयोग का रिश्ता बना रहता है।

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