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पहली बार किसने बनाई दाल मखनी, जानिए इसके पिछे की दिलचस्प कहानी

 
पहली बार किसने बनाई दाल मखनी, जानिए इसके पिछे की दिलचस्प कहानी

लाइफस्टाइल न्यूज डेस्क।। जब भी स्वादिष्ट खाने की बात आती है तो आपको दाल माखा जरूर याद रखना चाहिए। कभी रोटी का स्वाद बढ़ाने के लिए तो कभी चावल के स्वाद को दोगुना करने के लिए दाल मखनी को खाने में जरूर डाला जाता है. आपकी थाली को शोभा देने वाली और मिनटों में भूख कम करने वाली ये दाल कहां से आई, कैसे इस स्वादिष्ट दाल को हमारी थाली में जगह मिली और कैसे ये दाल लोगों के स्वाद को पहचान कर खाने का अहम हिस्सा बन गई.

ऐसे कई सवाल आपके दिमाग में आएंगे और आप भी इसका जवाब जानना चाहेंगे कि इस नाड़ी की शुरुआत कैसे हुई और इसका इतिहास क्या है। आइए जानते हैं मास्टरशेफ कविराज घियाला से दाल मखनी की दिलचस्प कहानी।

दाल मखनी क्या है?

दरअसल, दाल मखनी एक भारतीय व्यंजन है जिसे साबुत दाल, राजमा, मक्खन और कई तरह के मसालों से बनाया जाता है। दाल मखनी बनाने के लिए आपको अधिक धैर्य की आवश्यकता है क्योंकि इसे तैयार होने में थोड़ा अधिक समय लगता है। यह मुख्य रूप से दिल्ली और पंजाब की डिश है, जो अब पूरी दुनिया में अपनी जगह बना चुकी है। इतना ही नहीं, दिल्ली में कई ऐसे रेस्टोरेंट हैं जो सिर्फ दाल मखनी के स्वाद के लिए जाने जाते हैं।

दाल मखनी का इतिहास

दाल मखनी के इतिहास की बात करें तो इस दाल को सबसे पहले मोती महल श्रृंखला के संस्थापक कुंदन लाल गुजराल ने बनाया था। दरअसल, उन्हें यह विचार तब आया जब उन्होंने प्रसिद्ध बीन ग्रेवी का आविष्कार किया। कुंदन लाल गुजराल दिल्ली में मोती महल रेस्तरां के पूर्व मालिक हैं, जिसकी आज दिल्ली में कई चेन हैं। दाल मखनी के इतिहास को याद करते हुए गुजराल 1950 में दिल्ली आए और दरियागंज में मोती महल नाम से एक रेस्टोरेंट खोला। उन्होंने ही इस स्वादिष्ट दाल को भारतीय मेनू में शामिल किया था जो आज हमारी एक विशेषता बन गई है।

जवाहरलाल नेहरू ने चखा इस सेम
भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से लेकर जाकिर हुसैन तक ने इस स्वादिष्ट दाल मखनी का स्वाद चखा। आज दाल मखनी का स्वाद पूरी दुनिया में फैला हुआ है। आज भारत में इसकी 120 जंजीरें हैं और इसके अलावा इसका स्वाद दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में फैल चुका है।

क्या है एक्सपर्ट की राय
दाल मखनी के स्वाद के बारे में बोलते हुए, मास्टर शेफ कविराज खियालानी कहते हैं कि जब हम दाल मखनी का नाम सुनते हैं, तो हमारे दिमाग में जो पहली धारणा आती है, वह है इसमें मिली सामग्री की गुणवत्ता। इन दालों को बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली धीमी खाना पकाने की विधि इसे भोजन मेनू में एक विशेष जोड़ बनाती है।

दाल मखनी न केवल हमारी जड़ों के करीब है बल्कि हमारे दिल और प्लेट के भी करीब है क्योंकि इसमें बहुत ही आकर्षक और स्वादिष्ट गुण है। इसकी क्लासिक खाना पकाने की विधि से अंतिम आउटपुट न केवल स्वाद और सुगंध लाता है, बल्कि एक-दूसरे का आनंद लेने के लिए एक गर्म व्यंजन भी लाता है, साथ ही आज शादियों या पारंपरिक समारोहों में परोसी जाने वाली दाल मखनी के स्वाद को बरकरार रखता है। प्रभावशाली रूप और अद्वितीय पुरातनता!

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