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आपकी तबियत खुश कर देगा देसी घी में बना ये चीला , इसे खाने के लिए आपको  पुरानी दिल्ली के फतेहपुरी में पहुचना होगा 

 
चीला

जब मौसम सुहाना हो, हल्की-तेज बारिश हो रही हो और ठंडी हवाएं मन व शरीर को सुकून पहुंचा रही हों तो ऐसे में अगर जायकेदार चीला खाने को मिल जाए तो आनंद में और बढ़ोतरी हो जाती है. चीला भी ऐसा जो कोयले की आंच पर देसी घी में मंद-मंद सींका हो, उसके ऊपर सब्जियों और पनीर का स्टफ हो तो फिर क्या कहने. आज हम आपको इसी चीले की ‘कहानी’ से रूबरू कराते हैं. चूंकि यह चीला पुरानी दिल्ली में मिलता है, इसलिए आप मान लीजिए की स्वाद तो लाजवाब होगा ही.
पुरानी दिल्ली स्थित फतेहपुरी की बड़ी क्लॉथ मार्केट के गणेश बाजार की एक दुकान एलएस कैटरर्स (लालाराम श्रीकृष्ण) पर मिलता है यह चीला. पूरे इलाके में इस दुकान का चीला मशहूर है मंदी आंच में इसे दोनों तरफ से सेंका जाता है. नीचे से यह कुरकुरा सा हो जाता है तो ऊपर से मुलायम और माल से भरा हुआ. फिर इसे मोड़कर हरी चटनी और मीठी सौंठ के साथ परोसा जाता है. मुंह में रखते ही यह चीला घुलने लगता है. दाल और स्टफ का मिलन जुबान को खासा जायकेदार बना देता है. इस दुकान पर मिलने वाली आलू की टिक्की और ब्रेड पकौड़ा भी खासा स्पेशल है.

चीला

जब गरम तवे पर लगातार इनका ‘निर्माण’ होता है तो पूरे इलाके में देसी घी और इन व्यंजनों की खुशबू उड़ने लगती है. इनकी आलू की टिक्की साधारण नहीं है. इस टिक्की के अंदर मूंग की दाल, मटर का स्टफ व मसाले भरे जाते हैं. कुरकुरा होने तक उसे तला जाता है. एलएस कैटरर्स (लालाराम श्रीकृष्ण) पुरानी दिल्ली के नामी लोग हैं, बिजनेसमैन अंबानी और अडानी के कई पारिवारिक कार्यक्रमों में कैटरिंग कर चुके हैं.

विदेश तक में इनके खानपान की धूम है. इसके बावजूद जमीन से जुड़ाव के चलते उन्होंने पुरानी दिल्ली की इस पुरानी दुकान को अभी भी बनाए रखा है. दुकान और परिवार की बात करें तो यह दुकान वर्ष 1985 में शुरू हुई लेकिन इसे चलाने वाले लालाराम ने इस काम को वर्ष 1955 में शुरू किया था. पहले वह पुरानी दिल्ली की गलियों और कटरों में सर्दियों में छाबे पर चीला और आलू की टिक्की बेचते थे, तो गर्मियों में साथ में एक नौकर के साथ कुलफी बेचा करते थे.बगल में बंद पड़े नॉवल्टी सिनेमा के पास भी इनकी एक दुकान है. जहां पर चीला, टिक्की और पनीर भरा ब्रेड पकौड़ा मिलता है. 

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