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Corona era में भी यूपी में बनी रही रोजगार की रफ्तार, दिल्ली, राजस्थान, बंगाल बहुत पीछे

 
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उत्तर प्रदेश में रोजगार देने की रफ्तार कोरोनाकाल में जारी रही है। इसीलिए दिल्ली, बंगाल, राजस्थान यूपी से बहुत पीछे हैं। इसकी जानकारी सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के ताजा सर्वे में दी गयी है।

इसका दावा करते हुए राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि कोरोनाकाल में भी यूपी में रोजगार देने का सिलसिला जारी रहा। सीएमआईई के ताजा आंकडों के उप्र में बेरोजगारी दर 6.9 फीसदी दर्ज की गई है। जो मार्च 2017 के मुकाबले लगभग तीन गुना कम है।

रिपोर्ट के मुताबिक रोजगार उपलब्ध कराने के मामले में दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, केरल और तमिलनाडु, जैसे देश के तमाम राज्यों के मुकाबले यूपी काफी आगे है। कोरोना से जंग के साथ बेरोजगारी के साथ यूपी की लड़ाई चलती रही। आंकड़ो के मुताबिक, योगी सरकार ने पिछले 4 साल में युवाओं को 4 लाख से अधिक सरकारी नौकरियां देने का रिकार्ड बनाया है।

सीएमआईई की मई महीने की रिपोर्ट बताती है कि राजस्थान में बेरोजगारी दर का आंकड़ा 27.6 फीसदी है, जबकि देश की राजधानी दिल्ली की स्थिति रोजगार के लिहाज से बेहद खराब है। दिल्ली की बेरोजगारी दर 45.6 दर्ज की गई है , पश्चिम बंगाल में 19.3, तमिलनाडु में 28.0, पंजाब में 8.8, झारखण्ड में बेरोजगारी दर 16.0, छत्तीसगढ़ में 8.3, केरल में 23.5, और आंध्र प्रदेश में 13.5 फीसदी है। देश की सबसे ज्यादा आबादी वाले यूपी में बेरोजगारी की दर महज 6.9 फीसदी है। मार्च 2017 में जब सीएम योगी आदित्यनाथ ने राज्य की सत्ता संभाली थी तब प्रदेश में बेरोजगारी दर का आंकड़ा 17.5 फीसदी था जो मौजूदा बेरोजगारी दर के मुकाबले करीब तीन गुना है।

गौरतलब है कि लगातार उद्योग और व्यापार बढ़ा रही प्रदेश सरकार ने मार्च 2021 में 4.1 फीसदी के बेरोजगारी दर के न्यूनतम आंकड़े तक पहुंचा दिया था। मिशन रोजगार के अन्तर्गत विभिन्न विभागों, संस्थाओं एवं निगमों आदि के माध्यम से प्रदेश के लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। 4 लाख से अधिक लोगों को सरकारी नौकरी से जोड़ने के साथ ही 15 लाख से अधिक लोगों को निजी क्षेत्र में तथा लगभग 1.5 करोड़ लोगों को स्वरोजगार से जोड़ा है।

–आईएएनएस

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