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Corona की जंग में ‘पन्ना’ के लोग बने मिसाल

 
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ढलती दोपहर, घड़ियों में बजते चार ,बाजारों के बंद होने का सिलसिला और घरों के लौटते लोग। न तो कहीं सायरन का शोर सुनाई देता है, और न ही डंडाधारी जवान नजर आते हैं। यह तस्वीर है मध्यप्रदेश के पन्ना जिले की, जहां के लोग कोरोना के खिलाफ शासन-प्रशासन के निर्देशों का पालन करते हुए इस महामारी के खिलाफ लड़ी जा रही लड़ाई में साथ खड़े नजर आते हैं। देश के अन्य हिस्सों की तरह पन्ना में भी 20 अप्रैल के आसपास कोरोना की दूसरी लहर का असर भयावह था और मरीजों की संख्या 100 के पार तक पहुंच गई थी। यह स्थितियां इस इलाके के लिए मुसीबत भरी थी, डराने वाली भी थी। उसका बड़ा कारण भी है क्योंकि इस जिले में वे स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं हैं, जो कोरोना के मरीजों के लिए जरूरी थी। इतना ही नहीं, गंभीर मरीजों को बड़े अस्पताल तक पहुंचने के लिए पन्ना से कम से कम चार घंटे का सफर करना पड़ता। ऐसा इसलिए क्योंकि पन्ना से जबलपुर, सागर लगभग 200 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी पर है। ऐसे हालातों में कोरोना पर काबू पाने के लिए आमजन का साथ जरूरी था।

जिले में कोरोना का प्रसार लगातार बढ़ रहा था । ऐसे में जिला प्रशासन ने रणनीति बनाई और लोगों तक यह संदेश भेजा कि वे अगर सजग और सतर्क रहेंगे तो इस महामारी पर जीत हासिल की जा सकती है। इसके लिए जरुरी था कि खांसी, सर्दी बुखार होने पर जांच अवश्य कराई जाए। प्रशासन द्वारा विभिन्न टीमें बनाकर उन्हें घर-घर भेजा गया। कुल मिलाकर कोरोना की जांच की रफ्तार बढ़ाई गई। दिन में 24 घंटे टेस्टिंग की गई। इसके चलते लगभग 900 लोग ऐसे सामने आए जो सर्दी जुकाम और बुखार से पीड़ित थे। उनका उपचार किया गया। वही कोरोना संक्रमितों की बड़ी तादाद सामने आई।

बताया गया है कि जिस मरीज को जिस तरह की स्वास्थ्य सुविधाओं की जरुरत थी, उसे मुहैया कराया गया। जिन मरीजों केा अस्पताल मंे भर्ती कराना जरुरी था, उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहीं होम आईसोलेशन में भी मरीजों को रखा गया, उनकी नियमित मॉनीटरिंग की गई। चिकित्सक लगातार ऐसे लोगों से संवाद करते रहे। उससे मरीजों में भरोसा पैदा हुआ और उनकी समस्या का निराकरण भी किया गया।

जिलाधिकारी संजय कुमार मिश्रा बताते हैं, ” कोरोना संक्रमितों केा जहां उपचार सुविधा दी जा रही है, तो होम आईसोलेशन में रहने वालों का भी उचित चिकित्सकीय परामर्श दिया गया। इसके अलावा जो मरीज स्वस्थ होते हैं, उनसे नियमित रुप से चिकित्सक संवाद करते हैं ताकि पोस्ट कोविड समस्याओं से उन्हें बचाया जा सके।”

कोरोना को नियंत्रित करने के लिए पूरे राज्य में लॉकडाउन किया गया, क्योंकि कोरोना की चेन तोड़ने का बड़ा सहारा लॉकडाउन ही है। एक जून से अनलॉक की प्रक्रिया जारी है। आमतौर पर प्रशासन और पुलिस नियमांे का पालन कराने के लिए डंडे का सहारा लेती है मगर पन्ना में इस पर जोर नहीं दिया गया। लोगों को यह समझाया गया कि अगर वे एसएमएस (सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क का उपयोग और हाथों को साबुन से धोना या सेनिटाइज करना) को अपनाएंगे तो कोरोना के संक्रमण को रोका जा सकेगा।

जिलाधिकारी संजय कुमार मिश्रा बताते हैं, ” पन्ना जिले के मुख्यालय से लेकर गांव तक के लेागों के मनमस्तिष्क में यह बात बैठ गई है कि कोरोना की लड़ाई में सतर्क रहना जरुरी है। यही कारण है कि प्रशासन लोगांे को जो हिदायत देता है उस पर वे अमल कर रहे हैं। कहीं भी नियमों का पालन कराने के लिए पुलिस बल को तैनात करने की जरुरत नजर नहीं आती। दुकानदार खुद ब खुद दोपहर के चार बजते ही दुकानों को बंद कर देते है और लोग घरों को चले जाते हैं। ”

वे आगे कहते हैं, ” आम जन को जरुरत के सामान के लिए परेशान न होना पड़े और आर्थिक गतिविधियां संचालित रहें। इस दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसके साथ ही कोरोना का संक्रमण रोका जाए, इसके लिए आवश्यक कदम उठाए जा रहे है। यहां पुराना ऑक्सीजन प्लांट था जिसे चालू कराया गया, परिणाम स्वरुप यहां पर ऑक्सीजन की समस्या हीं आई। साथ ही लोगों ने कोरोना को रोकने में साथ दिया तो स्थिति में लगातार सुधार आ रहा है ।”

पन्ना के जिला मुख्यालय से लेकर किसी भी कस्बे और गांव में पहुॅचने पर यह साफ नजर आता है कि लोगों ने कोरोना को हराने की ठान ली है। यही कारण है कि बाजार बंद हो जाते है और सड़कों पर आमजन की चहल पहल कम हो जाती है। अन्य हिस्सों की तरह यहां मास्क का उपयोग करने वालों की अच्छी खासी तादाद नजर आती है, जो जागरुकता का संदेश देता है। नियमों का पालन कराते पुलिस नहीं दिखती, जो अहसास कराता है कि लोगों ने ही अपने को अनुषासित करना शुरु कर दिया है।

–आईएएनएस

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