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आखिर क्यों 750 Ml की ही होती हैं वाइन की बोतल? जानें इसके पीछे की मजेदार कहानी

 
आखिर क्यों 750 Ml की ही होती हैं वाइन की बोतल? जानें इसके पीछे की मजेदार कहानी

लाइफस्टाइल न्यूज डेस्क।। पूरी दुनिया में आपको शराब के दीवाने मिल जाएंगे। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें शराब पीने का शौक होता है। कई देशों में भोजन के साथ शराब परोसी जाती है। शराब के बारे में कहा जाता है कि यह जितनी पुरानी होती जाती है, इसका स्वाद उतना ही अच्छा होता है। कुछ वाइन इतनी महंगी होती हैं कि उनमें आपकी साल भर की कमाई चली जाती है। आपने असल जिंदगी में नहीं तो कई फिल्मों और तस्वीरों में शराब देखी होगी। लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि शराब की बोतलें 750 एमएल तक सीमित होती हैं और आमतौर पर किसी अन्य आकार में नहीं पाई जाती हैं, ऐसा क्यों है? आज इस कड़ी में हम आपको इसके पीछे का राज बताने जा रहे हैं।

एक रिपोर्ट के अनुसार पहली शताब्दी से रोमन साम्राज्य में कांच की बोतलें प्रचलित थीं, लेकिन उस समय ये बहुत महंगी थीं, इसलिए आम लोग इनका इस्तेमाल नहीं कर सकते थे। 18वीं शताब्दी तक कांच की बोतलें आम लोगों के घरों में पहुंचने लगीं और जैसे-जैसे उनका उत्पादन बढ़ा, उनकी कीमतों में भारी गिरावट आई। कोयले से चलने वाली भट्टियों में कांच की मजबूत बोतलें भी बनाई जा रही थीं। वाइनरी में कांच की बोतलें गोल होने के बजाय लंबी होने लगीं, जिससे वाइन को लंबे समय तक संग्रहीत किया जा सके और परिवहन में भी आसानी हो।

आखिर क्यों 750 Ml की ही होती हैं वाइन की बोतल? जानें इसके पीछे की मजेदार कहानी

दरअसल, उस दौरान हर बोतल कारीगरों द्वारा बनाई जाती थी। इसे आकार देने के लिए मुंह से हवा निकालकर फुलाया जाता था। एक सामान्य व्यक्ति के फेफड़ों में केवल 700 मिली से 800 मिली वायु ही बाहर निकल सकती है। यही वजह है कि कारीगर बोतल में 750 एमएल तक हवा छोड़ते थे। आज जब बोतलें मशीन से बनाई जाती हैं और आकार को अनुकूलित किया जा सकता है, तो कंपनियां विंटेज लुक देने के लिए 750 एमएल की बोतलें बनाना जारी रखती हैं। अमेरिका में एक बोतल में 750 एमएल शराब का नियम बन गया। इसके चलते दुनिया के दूसरे देशों में भी यही साइज फॉलो किया जाने लगा।

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