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मिलिए उस शख्स से जिन्हें दुनिया का सबसे खुश इंसान माना जाता है, लोगों को बताया प्रसन्न होने का राज

 
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लाइफस्टाइल न्यूज डेस्क।। मनुष्य संसार में जो कुछ भी करता है, सुखी होने के उद्देश्य से ही करता है। खुशी पाना सबके लिए बड़ी बात है लेकिन इसे हासिल करना उतना ही मुश्किल है। बहुत से लोग सोचते हैं कि वे जीवन में अपने सभी लक्ष्यों को प्राप्त करके खुश होंगे, बहुत से लोग सोचते हैं कि वे प्यार में पड़कर खुश होंगे और बहुत से लोग सोचते हैं कि वे एक महंगी कार खरीदकर खुश होंगे। लेकिन वो लोग भी डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं। हालांकि एक शख्स ने बताया है कि खुश रहने का राज क्या है। हम जिस शख्स की बात कर रहे हैं वह 'दुनिया का सबसे खुश इंसान' माना जाता है।

मैथ्यू रिचर्ड फ्रांस में पैदा हुए एक बौद्ध भिक्षु थे। उन्हें दुनिया का सबसे खुश इंसान माना जाता है। उनका दावा है कि वह कभी उदास नहीं होते। हालांकि, ये सिर्फ उनका दावा नहीं है, वैज्ञानिकों ने उन पर रिसर्च भी की है, जिससे ये पता चला है कि वो दुखी नहीं हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, मैथ्यू आखिरी बार 1991 में डिप्रेस हुए थे। वर्ष 2016 में संयुक्त राष्ट्र ने अपनी हैप्पीनेस इंडेक्स रिपोर्ट में मैथ्यू को दुनिया का सबसे खुश व्यक्ति घोषित किया था।

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एक व्यक्ति पर शोध किया गया है
यूनीलैड वेबसाइट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 76 साल के मैथ्यू पर विस्कॉन्सिन यूनिवर्सिटी के न्यूरोसाइंटिस्ट ने शोध किया था। उन्होंने मैथ्यू के सिर पर 256 सेंसर लगा दिए। यह पता चला कि जब रिचर्ड ध्यान करते थे, तो उनके मस्तिष्क में गामा तरंगें उत्पन्न होती थीं। ये गामा तरंगें ध्यान, सीखने और स्मृति से जुड़ी हैं। शोध में यह भी पाया गया कि उनके दिमाग का बायां प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स दाएं हिस्से की तुलना में अधिक सक्रिय था। इससे पता चला कि दिमाग का खुश हिस्सा ज्यादा सक्रिय होता है। इस प्रकार उन्होंने ध्यान के माध्यम से अपने मन को जगाया है।

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खुश रहने का राज बताया
रिचर्ड लोगों को अपने जैसे खुश रहने का राज भी बताते हैं। उनका कहना है कि इंसान हमेशा अपने बारे में सोचता है। तब वह पूरी दुनिया को अपना दुश्मन मानता है और उनके साथ प्रतिस्पर्धा में रहता है। उन्होंने कहा कि यदि व्यक्ति सुखी रहना चाहता है तो उसे अपने बारे में सोचना बंद करना होगा और दूसरों के बारे में सोचना शुरू करना होगा। जब व्यक्ति में प्रेम की भावना, दूसरों के प्रति चिंता और परोपकार की भावना होती है तो वह स्वत: ही सुखी होने लगता है। उन्होंने लोगों को व्याख्यान देते हुए कहा कि यदि लोग प्रतिदिन 15 मिनट ध्यान करें और सुख देने वाली बातों पर विचार करें तो वे स्वत: ही प्रसन्नता से भर जाते हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए अपने दिमाग को प्रशिक्षित करना होगा। उन्होंने कहा कि लोगों को भी सुबह की शुरुआत खुशियों के साथ करनी चाहिए।

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