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इस ​देश ने किया रात को दिन में बदलने का जुगाड, बना डाला नकली सूरज

 
 इस ​देश ने किया रात को दिन में बदलने का जुगाड, बना डाला नकली सूरज

लाइफस्टाइल न्यूज डेस्क।।  बड़ी सफलता ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने हासिल की है। सूरज की तकनीक पर परमाणु संलयन को वैज्ञानिकों ने एक रिएक्टर का निर्माण किया है जो अंजाम दे सकता है। बड़ी मात्रा में ऊर्जा इस रिएक्टर से निकलती है। जब प्रयोग ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी ने किया, तो 59 मेगाजूल ऊर्जा इस रिएक्टर से बाहर आई। अब तक का सबसे बड़ा रिकाॅर्ड यह दुनिया में है। 14 किलो टीएनटी का इस्तेमाल करने के बाद इतनी मात्रा में ऊर्जा पैदा होती है। 

लेबोरेटरी ने 1997 में अपने ही बनाए विश्व रिकॉर्ड को तोड़ दिया है। प्रयोगशाला ने इस बार साल 1997 से दोगुना से अधिक ऊर्जा पैदा की है। यूके परमाणु ऊर्जा प्राधिकरण ने बुधवार को इस बारे में जानकारी दी है। इंग्लैंड में ऑक्सफोर्ड के पास ज्वाइंट यूरोपियन टोरस लेबोरेटरी ने प्राधिकरण की तरफ से कहा गया है कि एक प्रयोग किया जिस दौरान 59 मेगाजूल ऊर्जा पैदा हुई। 

ऐसे ही सूर्य पैदा करता है गर्मी

जॉर्ज फ्रीमैन ने कहा कि ब्रिटेन में रिसर्च इनोवेशन फ्यूजन पावर को हकीकत में बदल रहे हैं। पूरे यूरोप में सहयोगियों के साथ मिलकर परमाणु संलयन पर आधारित ऊर्जा को वास्तविक रूप देने का काम किया गया है। ब्रिटेन के विज्ञान मंत्री जॉर्ज फ्रीमैन ने इस सफलता की तारीफ की है। इसके साथ ही उन्होंने इसे मील का पत्थर करार दिया है।  वैज्ञानिकों का मानना है कि आने वाले समय में इससे मानवता को भरपूर, सुरक्षित और साफ ऊर्जा का स्त्रोत प्राप्त होगा। सूर्य गर्मी पैदा करने के लिए न्यूक्लियर फ्यूजन प्रक्रिया का इस्तेमाल करता है। इससे जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने में भी सहायता मिलेगी। 

इस ​देश ने किया रात को दिन में बदलने का जुगाड, बना डाला नकली सूरज

जानिए कैसे काम करता है न्यूक्लियर फ्यूजन

ज्वाइंट यूरोपियन टोरस (JET) प्रयोगशाला में लगाई गई टोकामक मशीन दुनिया की सबसे शक्तिशाली ऑपरेशनल मशीन है जिसके अंदर बेहद कम मात्रा में ड्यूटेरियम और ट्रिटियम को भरा गया है। इससे सूर्य के केंद्र की तुलना में 10 गुना ज्यादा तापमान पर गर्म किया जाता है जिससे प्लाज्मा का निर्माण हो सके। सुपरकंडक्टर इलेक्ट्रोमैग्नेट का इस्तेमाल कर इसको एक जगह रखा गया जिससे रिकॉर्ड ऊर्जा पैदा हुई। न्यूक्लियर फ्यूजन से ऊर्जा सुरक्षित होती है । न्यूक्लियर फ्यूजन पर केंद्रित ब्रिटिश प्रयोगशाला कल्हम सेंटर फॉर फ्यूजन एनर्जी में सालों के प्रोयग के बाद यह सफलता मिली है। इस लेबोरेटरी में डोनट के आकार की मशीन लगाई गई है जिसे टोकामक नाम दिया गया है। 

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