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भगवान शिव के इस रहस्यमयी कुंड में भक्तों के सामने होते हैं अद्भुत चमत्कार, फेल हो जाते हैं विज्ञान के सभी नियम

 
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लाइफस्टाइल न्यूज डेस्क।।  आज देशभर में महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है. आज देश के सभी शिवालयों में शिव भक्तों की भारी भीड़ देखी जा रही है। महाशिवरात्रि के दिन भक्त भोलेनाथ की विशेष पूजा अर्चना करते हैं ताकि उन पर महादेव की विशेष कृपा बरसती रहे। हमारे देश में भगवान शिव के कई चमत्कारी मंदिर हैं, जिनके रहस्य और चमत्कार हर किसी को हैरान कर देते हैं। भगवान शिव का ऐसा ही एक प्रसिद्ध मंदिर उत्तर प्रदेश के सीतापुर में भी है। इस मंदिर में एक चमत्कारी तालाब है। इस अद्भुत कुंड का चमत्कार देखने के बाद विज्ञान के नियम भी विफल हो जाते हैं। वैसे तो विज्ञान के अनुसार हल्की वस्तु पानी में तैरती है और भारी वस्तु पानी में डूब जाती है। जब दूध में पानी मिला दिया जाए। लेकिन इस कुंड में विज्ञान के ये नियम उलटे हैं।

ऐसे चमत्कार भक्तों के सामने होते हैं

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यह कोई सुनी-सुनाई बात नहीं बल्कि सच्चाई है। यूपी के सीतापुर में नैमिषारण्य धाम के पास गोमती नदी के किनारे अरवपुर गांव में रुद्रेश्वर महादेव का मंदिर है। यहां एक शानदार पूल भी है। इस कुंड के बारे में कहा जाता है कि आज भी यहां जीवित शिवलिंग स्थित है। इस अद्भुत सरोवर के पानी में बेलपत्र जैसी हल्की वस्तु यानी बिल्व पत्र को डुबोया जाता है। दूसरी ओर सेब, अनार और अमरूद जैसे भारी फल पानी में तैरने लगते हैं। और यहां एक और चमत्कार देखने को मिला। इस कुंड में दूध का रिम रखने पर दूध तीर की तरह पानी की सतह को चीरता हुआ दिखाई देता है।

ॐ नमः शिवाय के जाप से ही चमत्कार प्रकट होते हैं
इस अद्भुत कुंड के साथ कई पौराणिक परंपराएं भी जुड़ी हुई हैं। गोमती नदी के तट पर स्थित शिवलिंग को बाबा रुद्रेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि यहां एक निश्चित स्थान पर बेलपत्र एक टैंक में पानी के अंदर चला जाता है। यहां शिव भक्तों को ॐ नमः शिवाय का जाप करना है। जब भक्त इस अद्भुत शिवलिंग पर ओम नमः शिवाय का जाप करते हैं, तो सुपारी, दूध और फल चढ़ाने से पहले सब कुछ पानी में विसर्जित कर दिया जाता है। इसके बाद प्रसाद के रूप में मांगे जाने पर एक फल भी वापस कर दिया जाता है। महादेव के इस असली चमत्कार को देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।

महाशिवरात्रि और सावन पर शिव भक्तों की भीड़ देखी जाती है

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शिवरात्रि और सावन के दौरान यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। इस चमत्कार को देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु दूर-दूर से यहां आते हैं। मंदिर के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि कभी इस स्थान पर एक पौराणिक शिव मंदिर था। जो अब पानी में डूबा हुआ है। लेकिन जब भी नदी में पानी घटता है तो मंदिर के अवशेष दिखाई देने लगते हैं।

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