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मां दुर्गा के इस मंदिर में जाने घबराते हैं भक्त, जिसने भी की जाने की गलती, उसके ऊपर मंडराने लगी मौत

 
मां दुर्गा के इस मंदिर में जाने घबराते हैं भक्त, जिसने भी की जाने की गलती, उसके ऊपर मंडराने लगी मौत

हमारे देश में लाखों मंंदिर मौजूद है. इनमें से कुछ मंदिर तो बेहद अद्भुत और रहस्यमयी है. लेकिन इनमें से कुछ मंदिरों को डरावना भी माना जाता है. इसलिए इन मंदिरों में जाने के नाम से भी लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं. आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो मां दुर्गा का मंदिर है. इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसमें जाने की किसी की भी हिम्मत नहीं होती. क्योंकि इस मंदिर में कोई जाता है मौत उसके पीछे पड़ जाती है. बता दें कि नवरात्र के दिनों में मां दुर्गा के ही नौ रूपों की पूजा की जाती है.

इस मौके पर बहुत से लोग मां दुर्गा के दर्शन के लिए मंदिरों में जाते हैं. लेकिन जिस मंदिर के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं उसने नवरात्रि के दिनों में भी जाने की किसी की हिम्मत नहीं होती. क्योंकि मां दुर्गा के इस मंदिर को शापित माना जाता है. इस मंदिर के बारे में ऐसा मानना है कि इस मंदिर में जो भी जाता है, उसके लिए खतरे से कम नहीं होता. कहते हैं इस मंदिर के अंदर जो भी रूकने गया वो कभी लौट कर नहीं आया.

मध्य प्रदेश के देवास में स्थित है मां दुर्गा का ये मंदिर

ये मंदिर मध्य प्रदेश के देवास जिले का है, दुर्गा मां के इस मंदिर में हर कोई जाने से दूर भागता है. इस मंदिर के बारे में स्थानीय लोगों की मान्यता है कि मां दुर्गा के इस मंदिर में बलि चढ़ाना जरूरी है. वहीं, कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि इस मंदिर में किसी औरत की आत्मा भटकती है. इस मंदिर के बारे में बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण देवास के किसी महाराजा ने करवाया था. इस मंदिर के बनवाने के बाद से राजघराने में कुछ ना कुछ अशुभ हो जाता था. मंदिर बनवाने के कुछ दिन बात पता चला कि राजा की राजकुमारी और सेनापति के बीच प्रेम प्रसंग चल रहा है.

वहीं, राजा ये नहीं चाहता था कि उसकी बेटी के साथ किसी सेनापति की शादी हो. इसलिए राजा ने राजकुमारी को बंधक बना लिया. बंधक बनाने के बाद राजकुमारी की संदिग्ध हालत में मौत हो गई. सेनापति को जब इस बात की खबर हुई, तो उसने भी आत्महत्या कर ली. राजमहल में इस घटना के बाद राजपुरोहित ने राजा को बताया कि ये मंदिर अपवित्र हो चुका है. अब इस मंदिर में पूजा करने का अब कोई लाभ नहीं है.

पुरोहित ने राजा को ये भी सलाह दी की इस मंदिर से मूर्ति को हटाकर उसे कहीं और विराजित करना चाहिए. पुरोहित की सलाह पर राजा ने तुरंत मां दुर्गा की मूर्ति को हटाकर उज्जैन के गणेश मंदिर में मूर्ति को स्थापित किया. मंदिर को हटाने के बाद भी राजघराने में अजीबों-गरीब घटनाएं होती रहती थी, तब पुरोहित ने ये मान लिया कि मंदिर शापित हो चुका है और मंदिर में जाने से रोक लगा दी गई.

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