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लैब में तैयार हीरों से सिर्फ ज्‍वैलरी नहीं बनती, सैटेलाइट भी उड़ते हैं, कंप्‍यूटर भी चलता है

 
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लाइफस्टाइल न्यूज़ डेस्क !!  आप प्राकृतिक हीरे के बारे में बहुत कुछ जानते होंगे क्योंकि इनका उपयोग ज्यादातर गहने बनाने के लिए किया जाता है। इससे अंगूठियां, हार और कई तरह के आभूषण बनाए जाते हैं। लेकिन लैब में बने हीरों की इन दिनों काफी डिमांड है। सस्ता होने के कारण ही नहीं, बल्कि कई जगहों पर इसका इस्तेमाल भी होने लगा है। आपको जानकर हैरानी होगी कि ये हीरा सैटेलाइट लॉन्च करने के अलावा आपके कंप्यूटर को भी चला सकता है। इससे बनी चिप बेहतर है। आजकल, यह 5G नेटवर्क में भी व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।

अर्धचालक प्रयोगशाला में तैयार किए गए हीरों से बनाए जा रहे हैं, जिनका व्यापक रूप से वाहनों में उपयोग किया जाता है। इससे बनी चिप कम बिजली की खपत करती है और सिलिकॉन चिप की तुलना में अधिक गति से चलती है। इसका उपयोग सुपर फास्ट कंप्यूटर में भी किया जा रहा है। इसका उपयोग चिकित्सा उपकरण, रक्षा उपकरण बनाने में भी किया जा रहा है। ऑप्टिकल उद्योग इसे गले लगा रहा है क्योंकि उनकी लागत बहुत कम हो गई है। सबसे खास बात यह है कि यह ईको फ्रेंडली है।

75% तक की छूट

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जहां प्राकृतिक हीरों को तैयार होने में सालों लग जाते हैं, वहीं तीन से चार सप्ताह में आप उन्हें प्राप्त कर सकते हैं। ये 75 फीसदी तक सस्ते हैं। इन्हें ऐसे समझिए जैसे एक कैरेट का प्राकृतिक हीरा 4 लाख में मिल जाता है, उसी तरह का लैब से बना हीरा 1 लाख के अंदर मिल सकता है। आप भी हीरे की तरह दिख सकते हैं, कम से कम आप इसे पहचान नहीं पाएंगे। इतना ही नहीं इसका सर्टिफिकेट भी मिलता है। भारत इन हीरों का हब बनता जा रहा है। आपको जानकर हैरानी होगी कि चेन्नई के कई स्टार्टअप इस काम में लगे हुए हैं। अमेरिका, हांगकांग, यूएई, इजराइल समेत कई देशों में इसका निर्यात भी किया जा रहा है। जिससे सैकड़ों लोगों को रोजगार मिल रहा है।

ऐसे बनता है हीरा

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प्राकृतिक हीरे शुद्ध कार्बन से बने होते हैं। अगर इसे 763 डिग्री सेल्सियस पर रखा जाए तो यह कार्बन डाइऑक्साइड में जल जाएगा। यानी कुछ भी नहीं बचेगा। इस तकनीक में ठीक इसके विपरीत करें। कार्बन को जमा कर कुछ घंटों के लिए उच्च दाब और उच्च तापमान पर प्रयोगशाला में रखा जाता है। कार्बन परमाणुओं का एक समूह मिलकर इसे बनाता है। इसके लिए कार्बन बीज की जरूरत होती है। इसे उच्च तापमान पर गर्म करके एक चमकदार प्लाज्मा बॉल बनाई जाती है। इस पूरी प्रक्रिया से कण बनते हैं जो कुछ हफ्तों के बाद हीरे में बदल जाते हैं। फिर इसे काटकर पॉलिश किया जाता है।

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