Follow us

खुद भगवान खेलते है यहां आकर चिता की भस्म से होली, देते हैं मोक्ष का आशीर्वाद

 
यहां भगवान आकर खेलते हैं चिता की भस्म से होली,, देते हैं मोक्ष का आशीर्वाद

लाइफस्टाइल डेस्क।।  इस समय देशभर में होली का खुमार लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा है। देश के अलग-अलग हिस्सों में होली अलग-अलग तरीके से मनाई जाती है लेकिन मोक्ष की नगरी काशी की होली अन्य जगहों से अलग अद्भुत, अकल्पनीय व बेमिसाल है। वाराणसी में महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर मंगलवार को देवाधिदेव महादेव ने अपने गणों के साथ चिता भस्म से होली खेली।

मसान की यह होली बनारस में काफी चर्चित है। मणिकर्णिका घाट पर श्मशान नाथ बाबा के श्रृंगार और भोग से इस पर्व की शुरुआत होती है। बाबा विश्वनाथ की नगरी में मसान की होली देखने को लिए विदेशों से भी लोग आते हैं। यहां हुरियारों ने चिताओं की राख से होली खेली।

हर वर्ष रंगभरी एकादशी के अगले दिन महाश्मशान मणिकर्णिका पर चिता भस्म की होली होती है। लेकिन माहौल बनाने के लिए रंगभरी एकादशी के दिन भी हरिश्चंद्र घाट के श्मशान पर चिता की राख से होली खेलकर काशी में चिता-भस्म की होली की शुरुआत हो जाती है। इसी दिन से बनारस में रंग-गुलाल खेलने का सिलसिला प्रारंभ हो जाता है जो लगातार छह दिनों तक चलता है।

 यहां भगवान आकर खेलते हैं चिता की भस्म से होली,, देते हैं मोक्ष का आशीर्वाद
मान्यता है कि मोक्ष की नगरी काशी में भगवान शिव स्वयं तारक मंत्र देते हैं। लिहाजा यहां पर मृत्यु भी उत्सव बन जाता है। होली पर चिता की भस्म को उनके गण अबीर और गुलाल की एक दूसरे को अर्पित कर सुख, समृद्धि, वैभव संग शिव की कृपा पाते हैं। भक्तों ने बाबा के संग जमकर मसान की होली खेली। इस दौरान हर हर महादेव के जयघोष लगे।


साथ ही लोगों ने डमरू बजाकर होली का हुड़दंग दिया। बता दें कि मणिकर्णिका घाट में हजारों सालों से चिताएं जलती रही हैं। मसान की इस होली में जिन रंगों का इस्तेमाल होता है, उसमें यज्ञों-हवन कुंडों या अघोरियों की धूनी और चिताओं की राख का इस्तेमाल किया जाता है।


माना जाता है कि खुद बाबा विश्वनाथ रंगभरी एकादशी के दिन माता पार्वती का गौना करने के बाद अपने गणों के साथ होली खेलने आते हैं। लेकिन भूत-प्रेत,पिशाच आदि जीव-जंतु उनके साथ नहीं खेल पाते। इसलिए अगले दिन बाबा मणिकर्णिका तीर्थ पर स्नान करने आते हैं और अपने गणों के साथ चिता की भस्म से होली खेलते हैं।इसी मान्यता के चलते हर साल यहां भारी संख्या में लोग चिता भस्म की होली में हिस्सा लेने पहुंचते हैं।


पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, काशी के मणिकर्णिका घाट पर शिव ने मोक्ष प्रदान करने की प्रतिज्ञा ली थी। काशी दुनिया की एक मात्र ऐसी नगरी है जहां मनुष्य की मृत्यु को मंगल माना जाता है।
 

From around the web