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क्या आपने कभी सोचा है कि बीयर की बोतलें हरे और भूरे रंग की ही क्यों होती हैं? जानिए इसके पीछे की वजह

 
क्या आपने कभी सोचा है कि बीयर की बोतलें हरे और भूरे रंग की ही क्यों होती हैं? जानिए इसके पीछे की वजह

लाइफस्टाइल न्यूज डेस्क।। इस दुनिया में अधिकतर लोग बीयर पीते है। और आप नहीं भी पीते लेकिन नाम तो सुना ही होगा।  बताया जाता है कि बीयर की सबसे पहली कंपनी प्राचीन मिस्त्र में खुली थी. इसका इतिहास काफी पुराना है माना जाता है कि सुमेरियन सभ्यता के समय से ही बीयर का इस्तेमाल किया जा रहा है. बीयर की बिक्री अब भारत में भी काफी बढ़ गई है।

क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है कि बीयर की बोतलों का रंग या तो हरा होता है या फिर भूरा होता है. इसका क्या कारण है कि बीयर हरे और भूरे रंग की ही बोतलों में क्यों भरी जाती है. अगर नहीं जानते हैं तो आज जान लीजिए.

बता दें कि, बीयर की सबसे पुरानी कंपनी प्राचीन मिस्त्र में खुली थी. उस समय बीयर की पैकिंग ट्रांसपेरेंट बोतलों में होती थी. जिसके बाद इस बात का पता चला कि सफेद रंग की बोतलों में भरी हुई बीयर सूर्य से निकलने वाली हानिकारक किरणों की वजह से खराब हो जाती है और इससे बदबू भी आने लगती है ये पीने लायक नहीं बचती।

क्या आपने कभी सोचा है कि बीयर की बोतलें हरे और भूरे रंग की ही क्यों होती हैं? जानिए इसके पीछे की वजह

इसके बाद जब बीयर बनाने वाली कंपनियों के सामने ये समस्या आई तो उन्होंने इसका उपाय ढूंढना शुरू कर दिया. फिर उन्होने कई चीजें ट्राई की फिर इसके बाद बीयर की बोतलों पर भूरे रंग की परत चढ़ाई जाने लगी. और ये तरकीब कामयाब हुई और इसके बाद बोतलों में बंद बीयर लंबे समय तक खराब नहीं हुई. भूरे रंग पर सूरज की किरणों का असर भी नहीं हुआ.

लेकिन जब द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भूरे रंग की बोतलों का आकाल पड़ गया. तो बीयर निर्माता कंपनियों ने भूरे रंग की जगह हरे रंग की बोतलों का इस्तेमाल शुरू किया. तब से आज तक बीयर हरे और भूरे रंग की बोतलों में ही भरी जाने लगी.

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