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यहां पर गोरे बच्चों को मिलती है मौत की सजा और काले बच्चो को मिलता है

 
आज भी यहां पर होता है गर्म लोहे से इन बीमारियों का इलाज

लाइफस्टाइल डेस्क । । आज भी आदिवासी लोग दुनिया से अलग अपनी ही एक अलग जिंदगी जीते है। इन आदिवासियों की परम्परा भी सबसे अलग होती है और वो इनका पालन करते है। आज हम आपको अंडमान में रह रहे जारवा आदिवासियों के बारे में बताते है। अंडमान में रह रहे जारवा आदिवासियों की एक प्रथा ऐसी है जो चौंकाने वाली है। दरअसल, इसके तहत यहां जन्म लेने वाले उन बच्चों को मार दिया जाता है, जिनकी मां या तो विधवा होती हैं या पिता दूसरे समुदाय से होते हैं।

आज भी यहां पर होता है गर्म लोहे से इन बीमारियों का इलाज

इस समुदाय का अगर कोई बच्चा काले रंग का ना होकर थोड़ा भी साफ रंग का पैदा होता है, तो उसे भी मार दिया जाता है, क्योंकि वो दूसरे समुदाय का लगता है। पिछले कुछ महीनों में यहां ऐसे बच्चों की हत्या के कई मामले सामने आए हैं। अंडमान पुलिस के सामने मुश्किल यह है कि वह शिकायत पर एक्शन ले या फिर ट्राइब की परंपरा को बनाए रखे। पिछले साल नवंबर में एक बच्चे की हत्या के बाद आई विटनेसेस ने पुलिस को पूरी जानकारी दी, लेकिन अपनी जाति के शख्स पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।

अभी हाल ही में मिले सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इन आदिवासियों की आबादी करीब 400 है। ये ट्राइब्स अंडमान आइलैंड के नॉर्थ इलाके में रहती है। माना जाता है कि जारवा जनजाति 55 हजार साल से यहां रहती है, लेकिन 1990 में पहली बार बाहरी दुनिया के संपर्क में आई थी। जारवा ट्राइब्स इलाकों में विदेशी या बाहरी लोगों के आने पर बैन है। जनजाति पर लंबे समय से अध्ययन कर रहे डॉ. रतन चंद्राकर ने कहा कि वह ये सब वर्षों से देखते आ रहे हैं लेकिन उनकी परंपरा होने के नाते कभी दखल नहीं दिया।

अभी हाल ही में यह घटना चर्चा में इसलिए आई क्योंकि इसे अपनी आंखों से देखने वाले शख्स ने पुलिस से शिकायत की है। बताया जा रहा है कि बच्चा जन्म के करीब 5 महीने बाद अचानक गायब हो गया था और बाद में वह रेत में दफनाया हुआ मिला था। जिससे उस बच्चे की मौत हो गयी थी।

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