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यहां महिलाएं शादी के बाद बन जाती है कई मर्दों की 'बीवी', हर दिन होता है अलग पार्टनर, महाभारत से जुड़ा है तार

 
यहां कई मर्दों की 'बीवी' बन जाती हैं महिलाएं, हर दिन होता है अलग पार्टनर, महाभारत से जुड़ा है तार!

लाइफस्टाइल न्यूज डेस्क।। दुनिया बहुत बड़ी है और हर कोने में लोगों की अपनी-अपनी परंपराएं और रीति-रिवाज हैं। कुछ रीति-रिवाज हमारे आस-पास ही देखे जाते हैं और कुछ ऐसे होते हैं जिन्हें सुनकर हम हैरान रह जाते हैं। आपने अक्सर ऐसी परंपराओं का पालन करते हुए सिर्फ महिलाओं को ही देखा होगा। उदाहरण के लिए, अफ्रीकी जनजातियों में, पुरुषों द्वारा महिलाओं को पीटा जाता है और कपड़े पहनने की प्रथा नहीं है। हालांकि आज हम आपको जिस रिवाज के बारे में बताने जा रहे हैं वह इन सबसे अलग है।

आपको जानकर हैरानी होगी कि ऐसी परंपराएं सिर्फ दूर-दराज के कबीलों में ही नहीं बल्कि हमारे देश में भी पाई जाती हैं, जो महिलाओं के नजरिए से बेहद अजीब है। महिलाओं के अधिकारों और पुरुषों के बीच समानता के बारे में बहुत बात की जाती है। हालांकि, आपको शायद ही पता हो कि हमारे देश में आज भी कुछ जगहों पर महिलाएं कई पुरुषों से शादी कर सकती हैं।

यहां कई मर्दों की 'बीवी' बन जाती हैं महिलाएं, हर दिन होता है अलग पार्टनर, महाभारत से जुड़ा है तार!

एक स्त्री के अनेक पति होते हैं
आपने प्राचीन काल में राजाओं और सम्राटों की कई पत्नियों के बारे में सुना होगा, लेकिन आज तक केवल एक उदाहरण ऐसा है जहां एक महिला के कई पति थे। यह उदाहरण महाभारत काल का है। पांचाली यानी द्रौपदी का विवाह पांच पांडवों से हुआ था और वे उनकी पत्नियों के रूप में रहीं। आज भी हिमाचल प्रदेश और केरल के कुछ हिस्सों में बहुविवाह प्रथा का प्रचलन है। यहां एक महिला कई पुरुषों से शादी करती है और समय के साथ सभी पुरुषों के साथ रहती है और उनसे बच्चों को जन्म देती है।

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यह प्रथा अभी भी कई हिस्सों में प्रचलित है
यह प्रथा देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग रूपों में मौजूद है। बहुविवाह की प्रथा दक्षिण भारत के आदिवासी क्षेत्रों में प्रचलित है, विशेषकर टोडा जाति में। इसके अलावा त्रावणकोर और मालाबार के नायरों में भी यह प्रथा प्रचलित है। अगर उत्तर भारत की बात करें तो यह अजीब रिवाज हिमाचल प्रदेश के किन्नौर और पंजाब के मालवा के जौनसार भवार में पाया जाता है। यहां कई पतियों की एक ही पत्नी होती है। ऐसे विवाह से उत्पन्न सन्तान किसी की नहीं अपितु सभी की मानी जाती है। ये लोग खुद को पांडवों का वंशज मानते हैं, इस तरह ये आज भी बहुविवाह की परंपरा का पालन करते हैं।

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