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इस मंदिर में पति-पत्नी नहीं जा सकते एक साथ, गए तो भुगतनी पड़ेगी भारी सजा, कारण जानकर उड़ जाएंगे होश

 
इस मंदिर में पति-पत्नी नहीं जा सकते एक साथ, गए तो भुगतनी पड़ेगी भारी सजा, कारण जानकर उड़ जाएंगे होश

लाइफस्टाईल न्यूज डेस्क।। हमारे देश में ऐसे कई मंदिर हैं, जहां बहुत ही अजीब परंपराओं का पालन किया जाता है। भारत में ऐसे कई मंदिर हैं जहां महिलाओं को प्रवेश की इजाजत नहीं है, जबकि कुछ जगहों पर पुरुष भी जा सकते हैं। किसी भी पूजा में पति-पत्नी का एक साथ होना बहुत महत्वपूर्ण और शुभ होता है। ऐसा माना जाता है कि अगर पति-पत्नी एक साथ पूजा-पाठ में रहें तो भगवान की कृपा दोनों पर बनी रहती है।
ऐसे में आज हम आपको एक अलग परंपरा के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पति-पत्नी एक साथ मंदिर में मां दुर्गा के दर्शन नहीं कर सकते हैं. कहा जाता है कि यह परंपरा भगवान शिव से जुड़ी मान्यता के कारण है। आइए आज हम आपको भगवान शिव से जुड़ी उस परंपरा के बारे में बताने जा रहे हैं।

इस मंदिर में पति-पत्नी नहीं जा सकते एक साथ, गए तो भुगतनी पड़ेगी भारी सजा, कारण जानकर उड़ जाएंगे होश

यह मंदिर शिमला के रामपुर में स्थित है। इस मंदिर में पति-पत्नी एक साथ नहीं करते मां दुर्गा की पूजा यहां ऐसा करना सख्त मना है। अगर कोई कपल ऐसा करने की कोशिश भी करता है तो उसे सजा भुगतनी पड़ती है।

इस मंदिर का नाम श्री कोटि मंदिर है। यह मंदिर मां दुर्गा का है। इसे हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक माना जाता है। हालाँकि, जोड़े इस मंदिर के अंदर एक साथ तो जा सकते हैं, लेकिन माँ दुर्गा के दर्शन एक साथ नहीं कर सकते।

पहचान क्या है?

इस मंदिर में पति-पत्नी नहीं जा सकते एक साथ, गए तो भुगतनी पड़ेगी भारी सजा, कारण जानकर उड़ जाएंगे होश

यहां पति-पत्नी एक साथ नहीं करते मां दुर्गा के दर्शन. इसके पीछे की वजह भगवान शिव से जुड़ी एक कहानी है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान शिव ने अपने दोनों पुत्रों कार्तिकेय और गणेश को यहां परिक्रमा करने के लिए कहा था। पिता से आदेश मिलने के बाद कार्तिकेय ने पूरे ब्रह्मांड का चक्कर लगाया, लेकिन गणेश ने माता पार्वती और शिव की परिक्रमा की और उनके चरणों में चले गए और कहा कि पूरा ब्रह्मांड माता-पिता के चरणों में बसता है।

दूसरी ओर, जब कार्तिकेय ब्रह्मांड का चक्कर लगाकर लौटे तो उन्होंने पाया कि गणेश पहले से ही शादीशुदा थे। इस देश से उन्हें घृणा हुई और कार्तिकेय ने कभी विवाह न करने का निर्णय लिया। कार्तिकेय के इस संकल्प से माता पार्वती क्रोधित हो गईं। उन्होंने कहा कि यहां उनसे मिलने आए पति-पत्नी जल्द ही एक-दूसरे से अलग हो जाएंगे। तब से आज तक यहां कोई भी पति-पत्नी एक साथ पूजा नहीं करते।

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