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इसे कहते हैं दुनिया की सबसे ठंडी जगह, जहां चारों ओर है बर्फ ही बर्फ, लेकिन अब संकट में

 
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 लाइफस्टाइल न्यूज़ डेस्क !!  हम बात कर रहे हैं अंटार्कटिका महाद्वीप की। इसे 'पृथ्वी का रेफ्रिजरेटर' कहा जाता है। यहां बहुत कम वर्षा होती है इसलिए कई वैज्ञानिक इसे 'ठंडा रेगिस्तान' कहते हैं। यहां एक वर्ष में केवल 200 मिमी वर्षा होती है। शीत ऋतु में यहाँ अँधेरा और ग्रीष्म ऋतु में प्रकाश रहता है। इस स्थान का उपयोग अनुसंधान के लिए किया जाता है। बताया जाता है कि यहां के ज्यादातर इलाके में करीब दो किलोमीटर मोटी बर्फ की परत फैली हुई है. बहुत तेज़ हवा चलती है, जिससे ठंड और भी बढ़ जाती है। इसलिए यहां किसी के लिए भी रहना बहुत मुश्किल है।

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अंटार्कटिका को दुनिया का अंत भी कहा जाता है, क्योंकि इसके बाद कुछ भी नहीं है। यहां के विशाल ग्लेशियर लोगों को आकर्षित करते हैं। ठंडे मौसम के कारण आप यहां बड़ी संख्या में पेंगुइन देख सकते हैं।

अंटार्कटिका की बर्फ की चादरें लंबे समय से पिघल रही हैं। समुद्री बर्फ में गिरावट ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। वैज्ञानिक इस घटनाक्रम पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं, क्योंकि इसका पूरी दुनिया की जलवायु पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

भूवैज्ञानिकों का कहना है कि जितनी तेजी से समुद्र का स्तर बढ़ेगा, उतनी ही तेजी से ग्लेशियर की बर्फ पिघलेगी। मुमकिन है कि इंतज़ार थोड़ा लंबा हो जाए. ऐसा होने पर इंसानों का यहां रहना संभव हो सकेगा।

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प्रदूषण ने अंटार्कटिका महाद्वीप को भी नहीं छोड़ा है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण यहां हर साल 200 अरब टन बर्फ पिघल रही है। यह भी पाया गया है कि माइक्रोप्लास्टिक के छोटे-छोटे कण भी यहां की बर्फ को प्रदूषित कर रहे हैं।

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