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डूब रहे 20 लोगों की बचाई जान, जान पर खेलकर तैराक ने की मदद, जीवन में फिर कभी नहीं कर पाया स्विमिंग

 
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लाइफस्टाइल न्यूज डेस्क।।  दुनिया में कई ऐसे लोग हैं जो अपनी जान से ज्यादा दूसरों की जान की परवाह करते हैं। ऐसे लोगों के सामने जब दूसरों की जान बचाने की बारी आती है तो ये न आगे न पीछे सोचते हैं, न अपनी चिंता करते हैं और जान बचाने के लिए सीधे कूद पड़ते हैं। एक प्रसिद्ध अर्मेनियाई तैराक का स्वभाव ऐसा ही था। अपने स्वभाव की वजह से उन्होंने कई लोगों को डूबने से बचाया, लेकिन उनका करियर खत्म हो गया।

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ऑल दैट इंटरेस्टिंग वेबसाइट की एक रिपोर्ट के अनुसार, शवर्ष कारापिल्टन अर्मेनिया के एक पूर्व तैराक हैं, जिनका जन्म 1953 में हुआ था। वह फिन स्विमिंग में माहिर थे। इसमें तैराक अपने पैरों में फिन पहनकर पानी के अंदर जाते हैं। शावर्स जब 23 साल के थे, तब उनके जीवन में एक ऐसी घटना घटी जिसने उनकी जिंदगी बदल दी।

बस पानी में गिर गई
16 सितंबर 1976 को वे घूमने निकले। तभी उसे एक भयानक आवाज सुनाई दी। आवाज इतनी तेज थी कि उन्हें लगा जैसे कोई धमाका हुआ हो। वह दुर्घटनास्थल पर पहुंचे और देखा कि एक ट्रॉली बस (इलेक्ट्रिक ट्राम की तरह एक बस) पुल से गिर गई थी और सीधे येरेवन झील में गिर रही थी। बस किनारे से करीब 82 फीट दूर थी और 33 फीट पानी में डूबी हुई थी। शावर्स बिना कुछ सोचे-समझे पानी में कूद गया और अपनी जान बचाने लगा। पानी में काफी मिट्टी, गाद और गंदगी थी, जिससे उन्हें कुछ भी साफ नजर नहीं आ रहा था। जैसे ही वह बस के पास पहुंचा उसने पैर से उसका शीशा तोड़ दिया। शीशा तोड़ते समय पैर में जा लगा।

20 की जान बचाई

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शवार्श बार-बार पानी के नीचे गया और एक व्यक्ति को बाहर निकाला। उन्होंने करीब 46 लोगों को पानी से बाहर निकाला, लेकिन उनमें से सिर्फ 20 ही बच पाए। शाम को जब वह घर पहुंचा तो उसे तेज बुखार था। परिजन उसे लेकर अस्पताल पहुंचे जहां पता चला कि गंदे पानी की वजह से उसके घाव में इंफेक्शन हो गया था और उसे निमोनिया भी हो गया था। वह 45 दिनों तक अस्पताल में रहे, इलाज चल रहा था। इंफेक्शन के चलते उनके फेफड़े पूरी तरह डैमेज हो गए थे। फिर क्या हुआ उनका करियर खत्म हो गया। उसे फिर तैरना नहीं आता था। ठीक होने के बाद उन्होंने तैराकी शुरू की, कुछ मैच जीते, लेकिन 24 साल की उम्र में सेवानिवृत्त हो गए। हालांकि उन्हें इसका कोई मलाल नहीं है। बाद में वे मॉस्को में बस गए जहां उन्होंने सेकेंड ब्रीथ नाम से एक शू कंपनी खोली। शावरश एक स्वस्थ जीवन जी रहे हैं और अभी भी अपने देश में घर-घर में जाना जाने वाला नाम है। उनकी इस बहादुरी के लिए उन्हें सरकार से पुरस्कार भी मिल चुका है। 1985 में एक बिल्डिंग में आग लग गई थी। उसमें भी वे लोगों को बचाने गए जिसमें उन्हें गंभीर चोटें आईं और उनका शरीर भी जल गया, लेकिन उन्होंने अपने हौसले को कभी कम नहीं होने दिया।

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