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शैतान के पैरों के निशान मिले इस जगह चट्टान पर, आखिर कैसे पहुंचा धधकते शोलों के अंदर 

 
शैतान के पैरों के निशान मिले इस जगह चट्टान पर, आखिर कैसे पहुंचा धधकते शोलों के अंदर 

लाइफस्टाइल न्यूज डेस्क।। शैतानी आकार के पैरों के निशान वैज्ञानिकों को एक चट्टान पर दिखाई पडे हैं। यह विशाल पैरों के निशान जहां वैज्ञानिकों को मिले हैं, वहां का तापमान करीब 300 डिग्री सेल्सियस अनुमान लगाया जा रहा है कि रहा होगा। इतने अधिक तापमान वाली जगह पर ऐसे में वैज्ञानिक भी आश्चर्य में हैं कि कोई जिंदा कैसे रह सकता है। इटली में एक ज्वालामुखी के करीब ये दैत्याकार पैरों के निशान मिले हैं। निएंडरथल के ये विशाल पैरों के निशान होंगे, जो ज्वालामुखी विस्फोट के ठीक बाद ऊपर की तरफ आगे बढ़ते रहे होंगे। ये निशान हजारों साल पहले के हैं वैज्ञानिकों का मानना है और उस वक्त मानव का आकार आज के इंसानों की तुलना में काफी विशाल था।

यह ज्वालामुखी दक्षिण इटली में स्थित है। हालांकि यह ज्वालामुखी हजारों साल से फटा नहीं है। वहीं रेडियोमेट्रिक और भूवैज्ञानिकों के अनुसार ये विशालकाय पैरों के निशान करीब 3 लाख 50 हजार पुराने है। फुटप्रिंट के ट्रैक को ‘सिआम्पेट डेल डियावोलो’ या ‘डेविल्स ट्रेल’ के रूप में जाना जाता है। जहां ये विशाल फुटप्रिंट मिले हैं, वह रोक्कैमोनफिना एक विलुप्त ज्वालामुखी है। उस वक्त जब यह ज्वालामुखी फटा होगा तो उसकी बची नर्म राख में प्रिंट्स डाले गए थे।

खोज में लगे वैज्ञानिक
 इटली की कई संस्थाओं के वैज्ञानिकों को करीब 14 और प्रिंट की जानकारी मिली है, जो पहले प्राप्त निशान से बड़े हैं। इनमें से कुछ पैरों के निशान नीचे की बजाय ऊपर पहाड़ की की तरफ बढते मिले हैं। वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं की टीम इन पैरों के निशान का समय काल और आकार का पता लगाने की कोशिश कर रही है। साथ ही टीम यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि हजारों साल पहले भौगोलिक और इंसानी समीकरण कैसा था।

इसमें कई घंटों का समय लगता है। ऐसे में इतनी गर्म राख की परत पर चलना किसी भी इंसान के लिए नामुमकिन जैसा होगा। वैज्ञानिक और खोजकर्ता भी इन पैरों के निशान को लेकर आश्चर्यचकित हैं। इस वजह से वहां मिले रहस्यमयी फुटप्रिंट्स वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं के लिए अचरज का विषय है, जिस पर और जानकारियां जुटाने का काम जारी है। उनका मानना है कि ज्वालामुखी विस्फोट के बाद निकली गर्म राख 300 डिग्री सेल्सियस तक धधकती रहती है जिसे करीब 50 डिग्री सेल्सियस तक ठंडा करने की ज़रूरत होती है। 

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