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इस मंदिर में आज भी रखा है भीम का विशालकाय ढोल और पांडवों को उगाया हुआ गेहूं का दाना

 
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लाइफस्टाइल न्यूज़ डेस्क।।  हमारे देश में महाभारत काल की सभी कथाएं और कथाएं प्रसिद्ध हैं। इनमें से अधिकतर कथाएं पांडवों की हैं। इसके अलावा पांडवों से जुड़े कई ऐसे स्थान हैं जहां हर साल हजारों की संख्या में लोग तीर्थ यात्रा के लिए आते हैं। आज हम आपको महाभारत काल से जुड़े एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसके बारे में कहा जाता है कि आज भी इस मंदिर में भीम का एक विशाल ढोलक रखा हुआ है। इसके अलावा, ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में गेहूं का एक विशाल दाना भी है जिसकी खेती पांडवों ने की थी।

ममलेश्वर मंदिर करसोंग घाटी में स्थित है

तब से हिमाचल प्रदेश में सैकड़ों मंदिर हैं, जो सभी प्राचीन काल के हैं। इसलिए हिमाचल प्रदेश को देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन हिमाचल की करसोंग घाटी में स्थित ममलेश्वर मंदिर की बात ही अलग है। ममलेश्वर मंदिर भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है।

इस मंदिर में आज भी रखा है भीम का विशालकाय ढोल और पांडवों को उगाया हुआ गेहूं का दाना

कहा जाता है कि यह ढोल महाभारत काल का है, जिसे भीम का ढोल कहा जाता है। इस ढोल की लंबाई 2 मीटर और ऊंचाई 3 फीट है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह ढोल यहां महाभारत के समय से रखा गया है। इस ढोल के बारे में कहा जाता है कि यह ढोल महाबलशाली भीम का है। ऐसा माना जाता है कि पांडवों ने अपने वनवास के दौरान इस स्थान पर कुछ समय बिताया था। यह भी माना जाता है कि भीम अकेले होने पर यह ढोल बजाते थे।

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250 ग्राम गेहूँ का एक बड़ा दाना

इतना ही नहीं इस मंदिर की एक और खास बात है। यानी भीम के ढोल के अलावा इस मंदिर में गेहूं का एक बड़ा दाना भी रखा हुआ है। गेहूं का यह दाना 250 ग्राम बताया जाता है। ऐसा माना जाता है कि पांडवों ने अपने वनवास के दौरान इस गेहूं की खेती की थी।

पांच हजार साल से जल रही है मंदिर की चिता

इस मंदिर में रखा है भीम का ढोल और विशाल गेंहु का दाना » Ajab Jankari

ममलेश्वर मंदिर का एक और रहस्य है। यानी इस मंदिर में स्थित अलाव लगभग पांच हजार साल से लगातार जल रहा है। यह अग्निकुंड के बारे में एक लोकप्रिय कहानी है। यानी पांडव अपने वनवास के दौरान यहां कुछ समय के लिए रुके थे। इसी बीच गांव में एक राक्षस ने पास की एक गुफा में डेरा डाल दिया था।

इस राक्षस के प्रकोप से बचने के लिए ग्रामीणों ने एक समझौता किया कि वे प्रतिदिन एक व्यक्ति को दानव के पास भोजन के लिए भेजेंगे। एक दिन उस लड़के की बारी थी जिसके घर में पांडव रहते थे। ऐसे में लड़के की मां को रोता देख पांडवों ने इसका कारण जानने की कोशिश की। उसके बाद भीम को उस राक्षस के पास भेजने का निश्चय किया गया।

भीम ने मंदिर जाकर राक्षस को मार डाला और ग्रामीणों को उसके आतंक से मुक्त कर दिया। भीम की जीत के उपलक्ष्य में ग्रामीणों ने अलाव जलाया जिसे भीम ने जलाया। ऐसा माना जाता है कि यह अलाव भीम द्वारा जलाया गया था। जो आज भी जल रही है।

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