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इन 7 सहेलियों ने शुरू किया था 80 रूपये उधार लेकर लिज्जत पापड़ का बिजनेस, आज 1600 करोड़ का टर्नओवर

 
इन 7 सहेलियों ने शुरू किया था 80 रूपये उधार लेकर लिज्जत पापड़ का बिजनेस, आज 1600 करोड़ का टर्नओवर

लाइफस्टाइल न्यूज डेस्क।। पापड़ आज हर घर के खाने का हिस्सा बन चुका है. अलग-अलग तरह के वैसे तो पापड़ बहुत होते हैं पर इनमे से काफी मशहुर है लिज्जत पापड़. इसकी डिमांड भी वर्तमान में मार्केट में दूसरे पापड़ो से काफी अधिक है. घर में हर किसी विशेष अवसर पर मेहमानों का खाना हो, या फिर कोई त्यौहार लिज्जत पापड़ का स्वाद और साथ ही सबकी भूख बढ़ा देता है. कोई भी कंपनी उसकी शुरुआत में लोगों को अच्छा प्रोडक्ट देती है और बाद में काम चलाऊ समान बेचा जाता है अक्सर कहा जाता है, लेकिन “लिज्जत पापड़” के केस में फिलहाल अभी तक ऐसा नहीं हुआ है और आज भी इसका स्वाद पहले जैसा ही बताया जाता है. 

7 सहेलियों ने मिलकर की लिज्जत पापड़ की शुरुआत
 
आपको बता दें कि, मुंबई की रहने वाली जसवंती बेन तथा उनकी 6 सहेलियों पार्वतीबेन, रामदास ठोदानी, उजमबे,न नरानदास कुण्डलिया, बानुबेन तन्ना, लागुबेन अमृतलाल गोकानी, जयाबेन विठलानी ने साथ मिलकर 1959 में घर पर ही पापड़ बनाने का काम शुरू किया था. दरअसल, वर्ष 1959 में 7 सहेलियो ने मिलकर लिज्जत पापड़ की शुरुआत की थी और उन्होंने उस समय यह कल्पना भी नही की होगा कि आगे चलकर उनका पापड़ इतना मशहुर होगा और उनका काम एक दिन बाकी लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बन जाएगा. 

इन 7 सहेलियों ने शुरू किया था 80 रूपये उधार लेकर लिज्जत पापड़ का बिजनेस, आज 1600 करोड़ का टर्नओवर

80 रुपए उधार लेकर शुरू किया था काम
 
उनको बस अपने-अपने घर चलाने के लिए पैसा आ जाए ये सोचकर पापड़ बनाने चालू किया था. सातों महिलाओं की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण ही उन्होनें पापड़ बनाने का निर्णय लिया और इससे कभी उनका ऐसे पापड़ का बड़ा बिजनेस करने का इरादा भी नहीं था, लेकिन  लेकिन पापड़ बनाने के लिए न तो इनके पास समान था और न ही पापड़ बनाने वाली मशीन खरीदने के पैसे थे.

तो ऐसे में इन्होनें छगनलाल पारेख सर्वेंट ऑफ़ इंडिया सोसायटी के अध्यक्ष व सामाजिक कार्यकर्ता से 80 रुपये उधार लिए, जिसके बाद इन्होंने उससे पापड़ बनाने वाली मशीन खरीदी और शुरुआत में इन सहेलियों ने पापड़ के चार पैकेट बनाकर एक दुकानदार को बेचे जब लोगों को इनके द्वारा बनाए गया पापड़ पसंद आने लगे तो दुकानदार ने इनसे और पापड़ की मांग की, जिसके बाद धीरे-धीरे लिज्जत पापड़ की मार्केट में मांग बढ़ने लगी. आज इस कंपनी के न केवल 60 से अधिक ब्रांच हैं और करीब 45 हज़ार महिलाओं को रोजगार मिला है, बल्कि इन महिलाओं ने लिज्जत पापड़ कम्पनी जो 80 हजार रुपये से शुरू की गई थी उसे 1,600 करोड़ रुपये का बड़ा कारोबार बना दिया. साल 1962 में पापड़ बनाने वाली इस संस्था का नाम “श्री महिला गृह उद्योग लिज्जत पापड़” रखा था. वर्ष 2002 में लिज्जत पापड़ कंपनी का टर्न ओवर लगभग 10 करोड़ रुपया था.

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