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भारत नहीं इस देश ने दिया पनीर! ये है पनीर के भारत पहुंचने की कहानी

 
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लाइफस्टाइल डेस्क, जयपुर।।भारत में शादी हो या किसी भी तरह की पार्टी पनीर के बिना मजा नही आता है, पनीर की ख़ास बात यह है कि इससे कई प्रकार की रेसीपी जैसे पनीर टिक्का, पनीर पकौड़ा, पनीर पराठा, शाही पनीर  बनाई जा सकती है. वहीं पनीर खाने में इतना स्वादिष्ट होता है कि मासांहारी तो पसंद करते ही हैं, शाकाहारियों के लिए मांस और अंडे की जगह पर पनीर पौष्टिक आहार के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. पनीर खाते वक्त क्या आपने कभी सोचा कि पनीर हमें कहां से मिला? जिस पनीर को खाए बिना आप रह नहीं सकते वो भारतीय है या विदेशी? 

मानव सभ्यता में प्रत्येक व्यंजन या खाद्य पदार्थों का अपना एक इतिहास होने के साथ एक रहस्य भी होता है. ऐसा ही एक उत्पाद है पनीर. पनीर फ़ारसी शब्द पेनिर से लिया गया है. भारत की बात करें तो कुछ इतिहासकारों का मानना है कि पनीर सिंधु घाटी सभ्यता में भी बनाया जाता था। वहीं कुछ ऋगवेद में भी पनीर का जिक्र बताते हैं. कुछ इससे इंकार करते हैं कि भारत में पनीर को पहले से ही बनाया जाता था. क्योंकि भारतीय सभ्यता में दूध का फटना ही बुरा माना जाता था. 

कुछ लोगों का मानना है कि पनीर मंगोलों की गलती की वजह से वजूद में आया. जी हाँ! वे मंगोलों को पनीर का जनक मानते हैं. उनका कहना है कि मंगोल अधिकतर दूर-दराज युद्ध में रहते थे. वो अपने साथ खाने-पीने के सामान का इंतज़ाम करके ले जाते. एक बार जब वो युद्ध पर निकले तो अपने साथ चमड़े की बोतल (मुश्की) में दूध लेकर गए थे. उनका काफिला रेगिस्तान की गर्म इलाके से होकर गुजरा. गर्मी की वजह से चमड़े की बोतल में रखा दूध फट गया. मंगोलों के पास हो सकता है कुछ खाने का न रहा हो ऐसे में शायद उन्होंने उस फटे हुए दूध को नहीं फेंका होगा. जब मंगोल ने उसे चखा तो उन्हें उसका स्वाद काफी पसंद आ गया.

फिर भारत कैसे पहुंचा पनीर? 
वहीं कुछ मानते है कि भारत में पनीर लाने वाले पुर्तगाली हैं. 17 वीं सदी में पुर्तगालियों ने बंगाल में रहते हुए लोगों को साइट्रिक एसिड की मदद से दूध को फाड़ने की कला सिखाई. उन्होंने बंगालियों को दूध को अम्लीकृत करने की नई विधि बताई. इस तरह भारत में पहले बंगाल में पनीर तैयार होने लगी. फिर उसी पनीर की विधि से छेना बनाया जाने लगा. कुछ लोगों का मानना है कि 16 वीं सदी में जब भारत में अफगानी और ईरानी राजा-महाराजा और यात्री आए तो वे पनीर अपने साथ लाए. उस समय गुनगुने और दही के मिश्रण से प्राप्त एक प्रकार का ठोस पदार्थ तैयार किया जाता था, जो सैनिकों के खाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था. 

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