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ये रहस्यमयी स्मारक बनवाई गयी थी हजारों साल पहले, इसे बनवाने वाले का आज तक नहीं चला पता

 
ये रहस्यमयी स्मारक बनवाई गयी थी हजारों साल पहले, इसे बनवाने वाले का आज तक नहीं चला पता

ट्रेवल न्यूज डेस्क।। एक से बढ़कर एक इमारतें पूरी दुनिया में हैं. बहुत ही रहस्यमयी इनमें से कुछ को माना जाता है. एक ऐसी ही इमारत के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं हजारों साल पहले जिसे बनवाया गया था. रहस्यमयी इस इमारत को माना जाता है क्योंकि आज तक कोई पता इसके बनवाने वाले का नहीं चला. इसे किसने बनवाया और क्यों बनवाया इस इमारत के बारे मे कहा जाता है कि इससे जुड़ा कोई दस्तावेज मौजूद नहीं है. दरअसल, आयरलैंड के काउंटी मथ बनी एक स्मारक के बारे में हम बात कर रहे हैं. यहां एक प्रागैतिहासिक स्मारक है, जो बॉयरन नदी के उत्तर में ड्रोघेडा से आठ किलोमीटर पश्चिम में बनी हुई है.

इस स्मारक को विश्व प्रसिद्ध स्टोनहेंज और मिस्र के पिरामिडों से भी काफी पुराना बताया जाता है. ऐसा माना जाता है कि यह स्मारक स्टोनहेंज से लगभग 500 साल पुरानी है. इस स्मारक को न्यूग्रेंज नाम से जाना जाता है. बताया जाता है कि इस स्मारक को करीब 3200 ईसा पूर्व नवपाषाण काल के दौरान बनाया गया. यह रहस्यमयी स्मारक एक बड़े से गोलाकार टीले की तरह है, जिसमें एक आंतरिक पत्थर का मार्ग और कक्ष बनाया गया है. जो एक असाधारण भव्य स्मारक है. 

ये रहस्यमयी स्मारक बनवाई गयी थी हजारों साल पहले, इसे बनवाने वाले का आज तक नहीं चला पता

लेकिन कुछ को ऐसे ही रख दिया गया होगा. कई पुरातत्वविदों का मानना है कि इस स्मारक का किसी न किसी प्रकार से धार्मिक महत्व रहा होगा. यहां शायद किसी प्रकार की पूजा होती होगी. इन कक्षों में इंसानी हड्डियों के अलावा कब्र के सामान भी मिल चुके हैं. इस स्मारक की खुदाई में जली और अधजली मानव अस्थियां भी मिल चुकी हैं. हालांकि इस जगह का इस्तेमाल किस काम में किया जाता था और इसे किसने बनवाया, इसके बारे में अब तक किसी को भी पता नहीं चल पाया है. जो ये दर्शाती हैं कि स्मारक के भीतर इंसानी लाशें रखी गई थीं, जिनमें से कुछ का अंतिम संस्कार कर दिया गया था. 

इस स्मारक के एक कक्ष में 19 मीटर का एक मार्ग है, जो केवल शीतकालीन ऋतु में ही सूर्योदय के समय रोशन होता है. यह भी एक रहस्य ही है. क्योंकि इसमें बाकी के दिनों में अंधेरा छाया रहता है. यानी यह अब तक एक रहस्य ही बना हुआ है. इस जगह की खोज तो बहुत पहले ही हो गई थी, जिसके बाद यहां 1962 से लेकर 1975 तक खुदाई का काम चला और इसके बारे में जानने की कोशिश की गई. लेकिन इस स्मारक के बारे में ज्यादा जानकारी हासिल नहीं हुई. 

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