Follow us

हापुड में भूतों का अनोखा मंदिर, जानिए क्या है पुरा रहस्य

 
s

लाइफस्टाइल डेस्क, जयपुर।। देश के प्राचीन मंदिरों में आपने बहुत सारे रहस्यों के बारे में सुना होगा लेकिन आज हम आपको ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका निर्माण भूतों ने किया था. जी हां उत्तर प्रदेश के हापुड़ जनपद में स्थित है भूतों द्वारा बनाया गया मंदिर भूतेश्वर महादेव मंदिर. जिसका निर्माण खुद भूतों ने किया था.

एक ही रात में भूतों ने किया था मंदिर का निर्माण
हापुड़ जनपद के ग्राम दत्तियाना मंदिर का इतिहास भूतों से जुड़ा है, कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण भूतों ने किया था, एक ही रात में भूतों ने इस मंदिर का निर्माण किया था. भूतेश्वर महादेव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध शिव मंदिर में प्रतिदिन श्रद्धालु पूजा अर्चना करने के लिए आते हैं. इस मंदिर में दूरदराज से आने वाले हजारों शिवभक्त जलाभिषेक करते हैं.

मान्यता है कि इस मंदिर में मनोकामना लेकर आने वाले भक्त यदि पूर्ण आस्था के साथ भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करते हैं तो उनकी हर मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है. आपको बता दें कि गांव दत्तियाना दिल्ली लखनऊ राष्ट्रीय राजमार्ग 9 से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यह शिव मंदिर गांव को एक अलग पहचान दिलाता है. लाल ईंटों से बने इस मंदिर की भव्यता देखते ही बनती है. ग्रामीणों के अनुसार कई सौ वर्ष पुराने इस मंदिर को भूतों ने बनाया था लेकिन दिन निकलते ही भूत गायब हो गए थे.जिसके चलते यह मंदिर अधूरा रह गया था. मंदिर की चोटी का निर्माण बाद में एक राजा ने कराया था.

s
क्या है मंदिर की विशेषता
इस मंदिर के निर्माण में किसी भी  प्रकार की मिट्टी, सीमेंट अथवा चूने का उपयोग नही किया गया था. मान्यता है कि तेज धूप और बरसात के पानी का भी मंदिर पर कोई असर नहीं होता है. मंदिर समिति के अध्यक्ष अजय त्यागी ने बताया कि यह मंदिर संवत 573 में बना, इस मंदिर की मान्यता है कि यह मंदिर एक ही रात में भूतों ने बनाया था, सुबह होने के कारण भूत गायब हो गए थे.इसलिए मंदिर की चोटी का कार्य अधूरा रह गया था. सुबह जब गांव वाले अपने घरों से बाहर निकले तो उन्होंने देखा कि यह मंदिर एक ही रात में कैसे बन गया. आसपास के क्षेत्रों में यह मंदिर चर्चा का विषय बन गया जिसके बाद सभी ग्रामीणों ने मिलकर मंदिर की चोटी का एक राजा के द्वारा निर्माण पूर्ण कराया था.

धार्मिक सद्भाव का देता है संदेश
बताया जाता है कि जब औरंगजेब राजा हुआ करते थे. उन्होंने सभी मंदिर तुड़वाये लेकिन जब राजा के आदमी इस मंदिर को तोड़ने के लिए पहुँचे तो उन्होंने देखा कि मंदिर के मुख्य द्वार पर चारों धर्मो के प्रतीक चिन्ह स्थित है.तो यह देखकर वो वहां से वापस लौट गए थे. आज भी यह मंदिर सभी धर्मों का प्रतीक माना जाता है. मंदिर की परिधि में कोई भी आपदा अपना असर नहीं कर पाती है.

इस मंदिर को देखने के लिए उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों के अलावा दिल्ली,हरियाणा, पंजाब, राजस्थान आदि प्रांतों के श्रद्धालु यहां आते रहते हैं जो मंदिर में सच्चे मन से पूजा करते हैं उनकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है.हापुड़ से न्यूज़18 लोकल के लिए सौरभ त्यागी की रिपोर्ट

From around the web