विघ्नहर्ता गणेश जी के क्यों हुए थे दो विवाह, जानिए रिद्धि-सिद्धि कैसे बनी बप्पा की पत्नियां
लाइफस्टाइल न्यूज डेस्क।। गणेश चतुर्थी गौरी पुत्र गणेश का त्योहार है। हर साल यह त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस त्योहार के दौरान लोग 10 दिनों के लिए अपने घरों में गौरीपुत्र गणेश की स्थापना करते हैं। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त सच्चे मन से बप्पा की पूजा करते हैं। इनसे सभी परेशानियां खत्म हो जाती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गणेश जी ने दो शादियां क्यों की थीं? तो आइए आपको बताते हैं इसके पीछे के मिथक के बारे में...
तुलसीजी ने दो विवाह करने का श्राप दिया।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान गणेश की कठोर तपस्या को देखकर माता तुलसी उन पर मोहित हो गईं। इसके बाद माता तुलसी ने भगवान गणेश के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा। लेकिन गणेश ने खुद को ब्रह्मचारी बताते हुए इस शादी से इनकार कर दिया। गणपतिजी की ये बातें सुनकर माता तुलसी उन पर क्रोधित हो गईं। जिसके बाद उन्होंने गौरी पुत्र गणेश जी को दो विवाह करने का श्राप दे दिया।
इस तरह रिद्धि-सिद्धि गजानन की अर्धांगिनी बन गईं।
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान गणेश की शारीरिक संरचना के कारण कोई भी उनसे शादी नहीं करना चाहता था। इसके बाद गणेश जी कई देवी-देवताओं के विवाह में विघ्न डालने लगे। उनके व्यवहार से परेशान होकर सभी देवता भगवान ब्रह्मा के पास गए। इसके बाद ब्रह्मा ने गणेश को अपनी दोनों पुत्रियों रिद्धि और सिद्धि के पास शिक्षा प्राप्त करने के लिए भेजा। जब भी कोई गणेश जी के सामने विवाह का प्रस्ताव रखता था तो रिद्धि और सिद्धि उनका ध्यान भटका देती थीं। इस प्रकार शेष विवाह बिना किसी रूकावट के संपन्न हो गया। लेकिन जब भगवान गणेश को इस बात का पता चला तो वह रिद्धि और सिद्धि पर क्रोधित हो गए और उन्हें श्राप देना शुरू कर दिया। लेकिन उसी समय ब्रह्मा ने गणपति के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा। गणेश ने विवाह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। इसी तरह, रिद्धि और सिद्धि भगवान गणेश की धार्मिक पत्नी बन गईं।