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आईआईटी कानपुर ने 122 आईपीआर दाखिल कर शोध-नवाचार में बनाया कीर्तिमान

 
आईआईटी कानपुर ने 122 आईपीआर दाखिल कर शोध-नवाचार में बनाया कीर्तिमान

कानपुर, 3 जनवरी (आईएएनएस)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर ने वर्ष 2023 में शोध-नवाचार क्षेत्र में नया कीर्तिमान बनाया स्थापित किया। संस्थान ने पिछले वर्ष 122 आईपीआर दाखिल कर यह उपलब्धि हासिल की। इतना ही नहीं, दायर किए आईपीआर में 108 पेटेंट, 4 डिज़ाइन पंजीकरण, 3 कॉपीराइट और एक ट्रेडमार्क आवेदन के आलावा 4 यूएस और 2 चाइना पेटेंट भी शामिल हैं।

ज्ञातव्य हो कि अब आईआईटी कानपुर ने इस उपलब्धि के साथ कुल 1039 इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स हासिल करने के आंकड़े को पा लिया है। अब यह संस्थान, एनआईआरएफ 2023 में इनोवेशन श्रेणी में शीर्ष स्थान पर है।

सहायक प्रौद्योगिकी में उत्कृष्ट योगदान के लिए एटीएफ (असिस्टिव टेक्नोलॉजी फाउंडेशन) अवार्ड्स 2023 में शैक्षिक संस्थानों द्वारा सर्वश्रेष्ठ सहायक प्रौद्योगिकी पहल का खिताब भी इसी संस्थान के नाम दर्ज है। नवाचार के एक उल्लेखनीय प्रदर्शन में, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर (आईआईटीके) ने 2023 में कुल 122 इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स (आईपीआर) दाखिल और उद्योग भागीदारों के लिए लगभग 14 फीसद की असाधारण लाइसेंसिंग दर हासिल कर उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है।

संस्थान का अब तक के इसके इतिहास में सबसे अधिक आईपीआर हासिल करने का यह लगातार तीसरा वर्ष है। इसके साथ ही इसकी अब तक की कुल उपलब्धि 1039 आईपीआर की हो गई है।

मेडटेक और नैनो टेक्नोलॉजी जैसे विभिन्न डोमेन के आविष्कारों के पेटेंट में पोर्टेबल मेडिकल सक्शन डिवाइस और निरंतर फेफड़ों के स्वास्थ्य निगरानी प्रणाली जैसे स्वास्थ्य समाधान शामिल हैं।

अन्य उल्लेखनीय पेटेंटों में सॉलिड-स्टेट सोडियम-आयन बैटरी और नेत्रहीनों और दृष्टिबाधितों के लिए एक किफायती ब्रेल शिक्षण उपकरण शामिल हैं।

आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रोफेसर एस गणेश ने कहा कि हमने लगातार तीसरे वर्ष अपने संस्थान में 100 से अधिक फाइलिंग का रिकॉर्ड हासिल किया है। 122 आईपीआर भी दाखिल किया है। यह अनुसंधान और प्रौद्योगिकी की सीमाओं को आगे बढ़ाने के लिए संस्थान की प्रतिबद्धता का परिणाम है। आईपीआर की रिकॉर्ड-तोड़ संख्या प्राप्त हुई है। शोधकर्ताओं के बीच सहयोगात्मक भावना है और विभिन्न हितधारकों के समर्थन ने इस उपलब्धि तक पहुंचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 167 पेटेंटों में, कमरे के तापमान पर अमोनिया का पता लगाने के लिए गैस सेंसर, औद्योगिक अपशिष्ट जल के उपचार के लिए एक विधि और उपकरण, दृष्टिबाधित लोगों के लिए एक स्पर्श घड़ी और गोजातीय में मास्टिटिस का पता लगाने के लिए एक पार्श्व प्रवाह इम्यूनोएसे पट्टी जैसे नवाचार शामिल हैं।

अनुसंधान एवं विकास के प्रोफेसर तरूण गुप्ता आविष्कारक प्रकाशनों से परे सोच रहे हैं। पेटेंट दाखिल करना और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण वास्तविक उपलब्धियां बन गए हैं, जो पुनरुत्पादकता साबित कर रहे हैं। आईपीआर की संख्या में वृद्धि का श्रेय पेटेंट दाखिल करने की सरल प्रक्रिया, सरकार द्वारा एक सक्षम नीति ढांचे और आईपीआर प्रबंधन समिति के सदस्यों के समर्थन को दिया जाता है।

--आईएएनएस

विकेटी/एसकेपी

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