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हिंदी सिनेमा की पांच फिल्में, आपसी रिश्तों को मजबूत करने का देती हैं संदेश

 
हिंदी सिनेमा की पांच फिल्में, आपसी रिश्तों को मजबूत करने का देती हैं संदेश

नई दिल्ली, 28 सितंबर (आईएएनएस)। आज की इस भागम भाग वाली जिंदगी में अपनों के सपनों को पूरा करने के लिए हम भाग तो रहे हैं, लेकिन, अपनों से बहुत दूर हो चले हैं। परिवार के साथ समय बिताना तो दूर, उनसे ठीक से बात भी नहीं कर पा रहे हैं। इससे अपनों के बीच गहरी दूरी बन गई है। आप चाहते तो हैं दूरी मिटे। लेकिन, पहल करने से डर लगता है। अगर आप भी इस तरह की समस्या से जूझ रहे हैं, तो आपको इस स्टोरी के माध्यम से बताने जा रहे हैं कि आप ह‍िंदी सिनेमा की ये पांच फिल्में देखकर अपने पारिवारिक रिश्तों को सुधारने की एक छोटी सी कोशिश कर सकते हैं।

5 नवंबर 1999 को सिनेमाघरों में रिलीज हुई 'हम साथ-साथ हैं'। यह एक पारिवारिक फिल्म है। जिसे आज भी लोग टीवी पर देखना पसंद करते हैं। इस फिल्म में मॉडर्न रामायण को दिखाया गया है। जो हमें सिखाता है कि परिवार को कैसे साथ रखना है। चाहे वक्त कितना भी बुरा हो, परिवार अगर साथ है, तो सब कुछ संभव है।

3 अक्टूबर 2003 को रिलीज हुई 'बागबान' फिल्म। फिल्म में चार पुत्रों और पिता की एक दिल छूने वाली कहानी है। फिल्म में दिखाया गया है कि जब एक पिता अपने बच्चों में कोई भेदभाव नहीं करता है, तो बच्चे अपने अभिभावकों में भेदभाव क्यों करने लगते हैं। फिल्म आज भी परिवारों में खूब देखी जाती है।

14 दिसंबर 2001 को रिलीज हुई कभी खुशी- कभी गम। इस फिल्म में मां-बेटे की ममता, बेटे पिता का त्याग, भाई के लिए भाई की तड़प दिखाई गई है। एक संयुक्त परिवार कैसे बिछड़ता और कैसे फिर एक होता है। इस फिल्म ने हमें सिखाया है।

5 अगस्त 1994 को सिनेमाघरों में रिलीज हुई 'हम आपके हैं कौन'। इस फिल्म में एक चाचा ने अपने भतीजों को अच्छी शिक्षा और उनकी जिंदगी संवारने के लिए खुद शादी नहीं की। साथ ही दो भाइयों के बीच भी अटूट प्यार दिखाया गया है। जहां एक भाई अपने प्यार को कुर्बान करने के लिए भी तैयार हो जाता है।

31 जुलाई 2015 को रिलीज हुई 'दृश्यम'। इस फिल्म में एक पिता ने दिखाया है कि अगर उसके परिवार पर कोई परेशानी आएगी, तो वह उसका सामना करेगा। लेकिन परिवार पर किसी भी तरह से कोई मुसीबत नहीं आने देगा।

--आईएएनएस

डीकेएम/सीबीटी

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