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मनीष तिवारी ने साल में 100 दिन संसद की कार्यवाही अनिवार्य करने के लिए कानून की मांग की

 
मनीष तिवारी ने साल में 100 दिन संसद की कार्यवाही अनिवार्य करने के लिए कानून की मांग की

नई दिल्ली, 18 सितंबर (आईएएनएस)। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने सोमवार को पुराने संसद भवन में अपना आखिरी भाषण देते हुए सुझाव दिया कि संसद और बड़े राज्यों की विधानसभाओं को हर साल कम से कम 100 दिन काम करने के लिए एक कानून बनाना चाहिए। साथ ही छोटे राज्यों की विधानसभाएं कम से कम 55 दिनों तक कार्य करें, इसकी रूपरेखा तैयार की जानी चाहिए।

संसद के विशेष सत्र के पहले दिन, जो पुराने संसद भवन में कामकाज का आखिरी दिन भी था, संसद के 75 वर्ष पूरे होने पर चर्चा में भाग लेते हुए, तिवारी ने दल-बदल विरोधी कानून पर फिर से विचार करने का भी सुझाव दिया।

वास्‍तविक नियंत्रण रेखा पर भारत में चीनी घुसपैठ पर चर्चा की मांग करते हुए उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दों को बहस के लिए नजरअंदाज किया जा रहा है।

कांग्रेस सांसद ने पिछले 75 वर्षों में संसद द्वारा अस्पृश्यता उन्मूलन, एससी/एसटी के लिए आरक्षण, शिक्षा का अधिकार और काम करने का अधिकार सहित कई उपलब्धियों को भी सूचीबद्ध किया।

शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने पंजाबी सिख समुदाय की उपलब्धियों के बारे में बात की।

उन्होंने 1984 के सिख दंगों पर दु:ख जताया और संसद में इसकी सर्वसम्मत निंदा की मांग की।

समाजवादी पार्टी के एस.टी. हसन ने पार्टी के साथी सहयोगी और पूर्व सांसद आजम खान को जेल में रखे जाने पर दु:ख जताया।

उन्होंने दावा किया कि उनकी पार्टी ने प्रधानमंत्री और लोकसभा अध्यक्ष से संपर्क कर खान की रिहाई में मदद मांगी थी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

हसन ने हिजाब, अजान, नमाज और तीन तलाक पर आपत्ति का हवाला देते हुए मुसलमानों के खिलाफ बढ़ती असहिष्णुता की भी निंदा की।

उन्होंने कहा कि उन्हें मुस्लिम समुदाय के हाशिये पर चले जाने का डर है।

पिछली कांग्रेस सरकारों पर निशाना साधते हुए बसपा सांसद गिरीश चंद्र ने दावा किया कि जवाहरलाल नेहरू ने पहले आम चुनाव में बाबा साहब अंबेडकर को समर्थन न देकर उन्हें हराने की साजिश रची थी।

अंबेडकर की उपलब्धियों को सूचीबद्ध करते हुए, उन्होंने याद दिलाया कि कैसे कांग्रेस द्वारा खड़ी की गई कई बाधाओं के कारण अंबेडकर को कानून मंत्री के पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा था।

तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय ने कहा कि, "पुरानी इमारत से नई इमारत में जाने से पहले हमें अपने देश इंडिया यानी भारत का सही अर्थ समझने की जरूरत है। हम दोनों नामों से खुश और सहज हैं। हम इसे दोहराना चाहते हैं।"

उन्‍होंने कहा, “संसदीय लोकतंत्र में सदन विपक्ष का होना चाहिए। बिना बहस या चर्चा के बिल पास किये जा रहे हैं, यह कोई अच्छी मिसाल नहीं है। दोनों पक्षों को अपने दृष्टिकोण में अधिक उद्देश्यपूर्ण होना होगा।"

--आईएएनएस

एकेजे

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