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विश्व जनसंख्या दिवस पर विशेषज्ञों की राय, महिलाओं- युवाओं और जरूरतमंदों पर ध्‍यान देने की जरूरत

 
विश्व जनसंख्या दिवस पर विशेषज्ञों की राय, महिलाओं- युवाओं और जरूरतमंदों पर ध्‍यान देने की जरूरत

नई दिल्ली, 11 जुलाई (आईएएनएस)। विश्व जनसंख्या दिवस पर विशेषज्ञों ने कहा कि महिलाओं, युवाओं और हाशिए पर पड़े समुदायों की जरूरतों पर ध्यान देना जरूरी है, जिन पर बढ़ती आबादी के कारण कभी ध्‍यान नहीं दिया गया।

विश्व जनसंख्या दिवस हर साल 11 जुलाई को वैश्विक जनसंख्या मुद्दों और समाज पर उनके प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम "लीव नो वन बिहाइंड, काउंट एवरीवन'' है।

यूएनएफपीए की 2023 में विश्व जनसंख्या स्थिति रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 142.86 करोड़ जनसंख्या के साथ भारत, चीन को पीछे छोड़कर दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है।

पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया की कार्यकारी निदेशक पूनम मुत्तरेजा ने इस मुद्दे पर आईएएनएस से बात की। कहा भले ही भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया हो, लेकिन "हमने प्रतिस्थापन-स्तर की प्रजनन दर (टीएफआर) हासिल कर ली है।"

उन्होंने बताया, " इसका अर्थ यह है कि प्रति महिला जन्म लेने वाले बच्चों की औसत संख्या जनसंख्या के आकार को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक स्थिर रखने के लिए पर्याप्त है।''

फिर भी युवा लोगों के बड़े अनुपात के कारण, भारत में जनसंख्या बढ़ती रहेगी।

पूनम ने कहा, "हमने जनसंख्या स्थिरीकरण की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है।''

इसके साथ ही उन्होंने वंचितों अर्थात महिलाओं, युवाओं और हाशिए पर पड़े समुदायों तक पहुंचने पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया।

पूनम ने कहा, ''इन समूहों के प्रजनन अधिकारों, संसाधनों तक पहुंच और स्वास्थ्य एवं कल्याण के परिणाम अपर्याप्त बने हुए हैं।''

उन्‍होंने कहा, ''लगभग 24 मिलियन महिलाएं ऐसी हैं जिनकी परिवार नियोजन की जरूरतें पूरी नहीं हुई हैं, अर्थात वे गर्भधारण को रोकना चाहती हैं, लेकिन गर्भनिरोधक का उपयोग करने के लिए उनके पास पहुंच या एजेंसी नहीं है।''

पीएफआई प्रमुख ने कहा, "आगामी बजट में परिवार नियोजन, विशेषकर दीर्घकालिक आधुनिक गर्भ निरोधकों में निवेश बढ़ाने पर जोर होना चाहिए, क्योंकि समतामूलक और सतत विकास के लिए इन आवश्यकताओं को पूरा करना महत्वपूर्ण है।''

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा ने भी इसकी वकालत की थी, उन्होंने भी कहा था, " मां और बच्चे के स्वास्थ्य और खुशहाली के लिए दो बच्चों के बीच अंतर होना जरूरी है।"

सर गंगा राम अस्पताल के मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ कंसल्टेंट डॉ. एम वली ने आईएएनएस को बताया, " जनसंख्या हमारे पहले से बुनियादी ढांचे पर बोझ बढ़ाता है, लोगों को बुनियादी सुविधाओं से वंचित करता है, पानी की कमी, स्वच्छता और सीवेज से जुड़ी समस्याओं का कारण बनता है।"

अधिक जनसंख्या के कारण हेल्थ केयर इंडेक्स को प्रभावित करता है। रुग्णता दर और मृत्यु दर में बढ़ोतरी होती है, ऐसा इसलिए क्योंकि जनसंख्या निवारक और जांच संबंधी आवश्यकताओं की पर्याप्त पूर्ति नहीं हो पाती है।

फोर्टिस फरीदाबाद की ईशा वधावन ने आईएएनएस को बताया, ''शिक्षित महिलाओं में अपने प्रजनन अधिकारों का प्रयोग करने की अधिक संभावना होती है, अर्थात गर्भनिरोधक का उपयोग करना और अपने साथियों को समान योजना वाले परिवारों के लिए प्रेरित करना और अवांछित गर्भधारण को समाप्त करने के विचार के अलावा वे छोटे और स्वस्थ परिवार रखने के महत्व को भी अधिक समझती हैं।''

-आईएएनएस

एमकेएस/केआर

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